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1 किताब
हर कोई अपने आप में गुम है अफीमची की तरह,जैसे पा लिया हो खजाना,खजांची की तरह,रहता है अपने आप में मस्त भंगेड़ी की तरह,करता नहीं किसी से बात घमंडी की तरह,सोचता है खुद को खुदा की तरह,पता नहीं