सुजीत कुमार :-
हम सब के मन में हमेशा से एक सवाल रहा कि आखिर क्यूँ किसी अपराधी को सूर्योदय से पहले फांसी दी जाती है। क्या आपने कभी सोचा है कि फांसी का समयसूर्योदय से पेहले का क्यों चुना जाता है। अगर आपका जवाब है नही तो चलिये हम आज आपको बताते है कि अखिर क्या है इसके पीछे का राज।
- सूर्योदय के बाद एक नया दिन शुरु होना--
- हर सूर्योदय के बाद एक नया दिन शुरु होता है।
- सुबह होते ही अभी अपने अपने काम में लग जाते है और यही काम जेल में भी होता है, जेल में सुबह होते ही लोग नए दिन के काम काज में लग जाते हैं।
- इसीलिए फांसी की सज़ा सूर्योदय होने से पहले दी जाती।
- फांसी से पहले जेल प्रशासन अपराधी से उसकी आखिरी ख्वाहिश पूछी जाती है।
- लेकिन आप ये नही जानते होंगे कि कैदी की ख्वाहिश जेल मैन्युअल के तहत हो तभी पूरी की जाती है।
- फांसी देने से पहले जल्लाद कहता कि मुझे माफ कर दिया जाए हिंदू भाईयों को राम-राम, मुस्लमान भाइयों को सलाम।
- हम क्या कर सकते हैं हम तो हुकुम के गुलाम।
- फांसी देने के बाद 10 मिनट तक अपराधी को लटके रहने दिया जाता है।
- इसके बाद डॉक्टरों की एक टीम ये चैक करती है कि उसकी मौत हुई या नहीं, मौत की पुष्टि होने के बाद ही अपराधी को नीचे उतारा जाता है।
- फांसी के समय जेल अधीक्षक, एग्जीक्यूटीव मजीस्ट्रेट और जलाद की मौजूदगी जरुरी होती है। जिसके बाद उसे फांसी दी जाती है।