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लखनऊ की नवाबी गलियाँ

8 अगस्त 2016

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लखनऊ की नवाबी गलियाँ

लखनऊ ,

दिनांक...........,

प्रिय ,


छोटे भाई लखनऊ,

मैं तुम्हारा बड़ा भाई उत्तर प्रदेश, आशा करता हूँ कि तुम अच्छे होगे । सब तुम्हारी तहज़ीब और शाही नवाबी अंदाज को देखने के लिए देश विदेश से आते है। और देखे भी क्यों न, तुम बचपन से  ही लोगों के मन को मोहित करते आ रहे हो ।और मुझे बहुत खुशी भी है,की तुम नवाबों की शान के साथ - साथ उनका ताज हो । तुम्हारे शहर की  गलियो मे नवाबी अंदाज दिखता है ।

लेकिन आज तुम्हें दुखी देख कर रहा नहीं गया तो इस लिए सोचा कि तुम्हें एक ख़त लिखूँ ।

साल बदलने के साथ साथ हमारा देश भी बदल रहा है, आज हम दोनों नेताओं की कठपुतलियां बन कर रह गए है, हर पांच साल में नेताओं की टोलियाँ आती है, और हम दोनों को रस्सी की तरह खींचा जाता है , कोई बोलता है, कि इस बार पूरे उत्तर प्रदेश में , मैं राज करूँगा और कोई बोलता है  नहीं , इस बार मेरा राज होगा।

आज  जो मेरा हाल हैं ,वही हाल तुम्हारा भी है जहां एक तरफ यह बोला जाता था कि अपराध हमारे राज्य में कम होते है, जहां लोग अपने आप को सुरक्षित मानते थे वहीं आज अपराधों की श्रेणी में हम पहले चरण पर आ गए।

आज हमारे यहां चोरी, हत्या, अपहरण, बलत्कार और महिलाओं के साथ छेड़छाड शहर में एक आम बात हो गई है। जिसे रोकने वाला कोई नहीं है, और अगर कोई रोकने को सोचता भी है तो उसे मौत के घाट उतार दिया जाता है।

आज तुम्हारा नवाबी अंदाज गुंडागर्दी में तब्दील हो रहा है, जिससे लोग आपस में ही गुस्से और चंद कुछ रुपयों के लिये एक दूसरे की मौत तक करने को तैयार है ।

हमें बचपन से ही हमारे माता पिता ने यही सिखाया था कि कभी किसी से लड़ाई मत करना और न ही किसी का दिल दुखाना ।

लेकिन आज के बच्चे माता पिता की बातों को एक कान से सुनते है और दूसरे कान से निकाल देते है ।

आज इन सब को देखकर और सुनकर बहुत दुख होता है कि आखिर हमारे देश को क्या हो गया है, ये ना तुम्हें पता है ना मुझे पता है ।

मेरे भाई मुझे पता  है कि तुम इस ख़त को पढ कर रो रहे होंगे, लेकिन तुम रोना मत, क्योंकि तुम कर भी क्या सकते हो। चिंता मत करना , सब ठीक हो जाएगा , मैं तुम्हारे लिए भगवान से दुआ करूँगा, कि तुम्हारे ऊपर जो दाग लगे हैं, वो जल्द ही ठीक हो  और तुम  एक अच्छे शहर में तब्दील हो जाओ । लेकिन भाई आज यह सोचकर अच्छा लगता है, कि आज भी तुम्हारे शहर में नवाबो की तहज़ीब बरकरार हैं। और तुम्हारे शहर की गलियों में परमपराओ  से भरी धारोहरे आज भी देखने को मिलती हैं ,अब यहीं अपने शब्दों को विराम देता हूँ, अगर कुछ गलत लगा हो तो बड़ा भाई होने के नाते माफ़ कर देना ।

जल्दी ही तुमसे मुलाकात होगी तब तक अपना ख्याल रखना।

                                             

                                                                                                                                                              ( तुम्हारा बड़ा  भाई) 

                                                                                                                                                                   उत्तर प्रदेश

    लेख क,

(सुजीत कुमार)

8858184641


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