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(जंगल से प्यार 2 रा भाग)

19 जनवरी 2022

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[ जंगल से प्यार ]  ' 2 रा  अद्ध्याय'

गर्मी के दिन थे अखिलेश शेरू और शेखू को लेकर जंगल की ओर चल पड़ा,  जंगल में प्र्वेश करने के कुछ देर बाद ही उसे एक गौरैया चिड़िया ज़मीन पर तढफ़ती मिली । उसका शरीर काला पड़ चुका था , पंख जल गए थे और लगता था कि उसकी एक टांग भी टूट गई है । वह संभवत: वहां से जा रही हाई टेन्शन लाइन की चपेट में आकर चोटिल हो गई थी व ज़मीन पर गिरकर ज़िन्दगी की जंग लड़ रही थी । अखिलेश ने उस चोटिल चिड़िया को धीरे से उठाया और उसके बदन को सहलाते हुए उसे विश्वास दिलाने का प्रयास करने लगा कि घबराओ मत मैं तुम्हारी देखभाल व उपचार करूंगा । तुम पूरी तरह से ठीक हो जाओगे , बिल्कुल भी घबराओ मत । वह चिड़िया उसे कातर नज़रों से देखती रही और ऐसा भी लगा कि वह अखिलेश को धन्यवाद प्रेषित करना चाह रही है । अखिलेश चिड़िया को अपने हाथ में उठाकर अपने घर की ओर जाने लगा तो चिड़िया बेचैन हो गई । ऐसा लगा कि उसे यह मन्ज़ूर नहीं । अखिलेश दो कदम और आगे बढा तो चिड़िया ज़ोर ज़ोर से चीं चीं चिल्लाने लगी। अखिलेश को एक बारगी समझ नहीं आया कि उसे क्या समस्या है ? वह समझने का प्रयास किया कि आखिर यह चिड़िया क्यूं आगे बढना नहीं चाहती ? वह चिड़िया की ओर देखते रहा तो उसे पता चला कि चिड़िया बार बार अपनी गर्दन उठाकर  दाएं बाजू वाले  एक पेड़ की उपरी डालियों को देख रही है ।  तब अखिलेश ने ध्यान से उन डालियों की ओर देखना प्रारंभ किया तो उसे एहसास हुआ कि वहा कुछ तो गतिविधियां हैं । कुछ देर बार उसे चिड़िया के छोटे छोटे बच्चे दिखे तो नीचे से चार की संख्या में नज़र आए। अब अखलेश समझ गया कि वे चारों जो उपर डाली में बैठे हैं , इसी चिड़िया के नवजात बच्चे हैं । वे बच्चे भी पत्तों की ओट से नीचे की ओर अपनी माता को ही देख रहे थे । अपनी घायल माता को देखकर उनकी भी आंखों से अविरल आंसू बह रहे थे । शायद वे घबरा भी रहे हैं कि उनकी माता को अगर कुछ हो जाए तो हम कैसे जीयेंगे । अखिलेश तुरंत ही अपनी थैली को खाली करके उपर पेड़ पर चढा और चारों बच्चों को थैली में हौले से रखकर नीचे उतर आया । नीचे उतरकर उसने घायल चिड़िया को भी उस थैली में आहिस्ता से रख दिया । अब उस चिड़िया के चारों बच्चे खुश दिखने लग गए थे। उन्हें इस बात की तसल्ली हो रही थी कि अब उनके साथ उनकी माता भी है । उन चारों बच्चों का नाम राम , लक्षमण ,भरत, शत्रुघन था । सबसे बड़े भाई राम ने अपने बाक़ी भाइयों को समझाया कि हमारी मां घायल उसके शरीर के कई हिस्सों में बेहद दर्द है । अत: हम सबको ध्यान रखना होगा कि हमारे कारण उन्हें और चोट न लगे । माता श्री से ज़रा दूरी बनाकर ही रखना उचित होगा । सबको अपने बड़े भाई की बात समझ आ गई और वे सब थैली के अंदर भी अपनी मात से कुछ दूरी पर ही बैठे लेटे रहे । उन सबने चहचहाना भी बंद कर दिया था कि कहीं चहचाहट की शोर से माता जी को कोई तकलीफ़ न हो । फिर उन पांचों को लेकर अखिलेश अपने घर पहुंच गया । साथ में शेरू और शेखू भी घर आ गए। 

[क्रमश;]
Dinesh Dubey

Dinesh Dubey

बहुत बढ़िया लिखा

20 जनवरी 2022

Sanjay Dani

Sanjay Dani

30 जनवरी 2022

Thanks Dinesh ji

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रचनाएँ
जंगल से प्यार
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' जंगल से प्यार' [ कहानी ___धारावाहिक } अखिलेश प्रताप सिंग की उम्र महज 8 वर्ष रही होगी । वह जमींदार वीर प्रताप का अकेला पुत्र था । उस पर जमींदारी का रंग नहीं चढ पाया था । उसे जंगल में घूमना , नाना प्रकार के पक्षियों कोदेखना , तितलियों को पकड़ना अच्छा लगता था । जंगल के पक्षियों व तितलियों के प्रति उसके मन में हमेशा कोमल भावनाएं प्रवाहित होती थीं । वह कभी तितलियों को अपनी हथेली व कांधे पर बिठाकर उन्हें चूमता था । वह जब भी जंगल जाता , अपने साथ चांवल व मूंग के दाने ज़रूर ले जाता था और पक्षियों के समूहों को बुला बुलाकर दाने खिलाता था । एक बार वह एक घायल चिडिया और उसके चार बच्चों को बचाता है। कुछ वर्ष बाद जब जंगल के अखिलेश पर विपत्ति आती है। तो उस चिडिया के चारों बच्चे उसकी मदद करते हैं।
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जंगल से प्यार।

19 जनवरी 2022
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' जंगल से प्यार' [ कहानी ___धारावाहिक }अखिलेश प्रताप सिंग की उम्र महज 8 वर्ष रही होगी । वह जमींदार वीर प्रताप का अकेला पुत्र था । उस पर जमींदारी का रंग नहीं चढ पाया था । उसे जंग

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जंगल से प्यार

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[ जंगल से प्यार ] ' 2 रा अद्ध्याय'गर्मी के दिन थे अखिलेश शेरू और शेखू को लेकर जंगल की ओर चल पड़ा, जंगल में प्र्वेश करने के कुछ देर बाद ही उसे एक गौरैया चिड़िया ज़मीन पर तढफ़ती मिली । उसक

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