' जंगल से प्यार' [ कहानी ___धारावाहिक }
अखिलेश प्रताप सिंग की उम्र महज 8 वर्ष रही होगी । वह जमींदार वीर प्रताप का
अकेला पुत्र था । उस पर जमींदारी का रंग नहीं चढ पाया था । उसे जंगल में
घूमना , नाना प्रकार के पक्षियों कोदेखना , तितलियों को पकड़ना अच्छा लगता था
। जंगल के पक्षियों व तितलियों के प्रति उसके मन में हमेशा कोमल भावनाएं प्रवाहित होती थीं । वह कभी तितलियों को अपनी हथेली व कांधे पर बिठाकर
उन्हें चूमता था । वह जब भी जंगल जाता , अपने साथ चांवल व मूंग के दाने ज़रूर ले जाता था और पक्षियों के समूहों को बुला बुलाकर दाने खिलाता था । उसके ही
गांव से लगा हुआ एक छोटा सा जंगल था । अखिलेश जब भी जंगल जाता अपने प्यारे व शेर जैसे दिखन वाले कुत्तों को , जिनका नाम शेरू और शेखू था, अपने साथ ज़रुर ले जाता था । शेरू और शेखू के साथ रहने से उसे अपनी सुरक्षा की चिन्ता नहीं रहती थी । अखिलेश की एक और आदत थी की वह पेड़ की डंगालों पर चढकर नाना प्रकार के फूलों व पत्तियों को बहुत ध्यान से देखा करता था । फुलों व पत्तियों की संरक्षना देख कर उसे बहुत ही अच्छा लगता । वह सोचता था कि क्या इंसान ऐसी कोई रचना का निर्माण कर सकते हैं । कुल मिलाकर अखिलेश की रुचि वनस्पति विग्यान व पक्षी विग्यान में बहुत ही ज़्यादा थी । वह कई बार उन्हें अपनी लेखनी का केन्द्र बिन्दू बनाकर कविताएं भी लिखता था । उसके पिता वीर प्रताप अक्सर कहते थे कि मेरा बेटा बड़ा होकर या तो फ़ारेस्टर बनेगा या किसी जू का मुखिया । वीर प्र्ताप जी को अपने सुपुत्र की रुचि से कोई गुरेज़ नहीं था , पर वे चाहते थे कि अखिलेश जब भी जंगल जाए तो
दो सेवकों को भी अपनी सुरक्षा के द्रिष्टिकोण से ले जाए। लेकिन अखिलेश कहता था कि मेरे साथ शेरू और शेखू हैं मेरी सुरक्षा के लिए। उनके रहते कोई मेरा कुछ भी बिगाड़ने की ध्रिष्टता नहीं कर सकता । वास्तव में शेरू और शेखू के रहते जंगल के कई प्राणी जैसे सियार ,भालू , लोमड़ी अखिलेश के पास भी जाने की
हिम्मत नहीं कर पाते थे । जंगल के कई जानवरों को यह भी एहसास हो गया था कि यह लड़का जंगल की रक्षा व सेवा में आता है अत: यह तो अपना दोस्त ही हुआ ।