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झूमते हुए चली

12 अप्रैल 2018

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प्रयाग से सारनाथ

हर कदम पे साथ साथ

झूमते हुए चली

अपनी मित्र मंडली


भक्ति की बयार मे

हंसी खुशी के सार मे

मौज की फुहार मे

दोस्ती मे प्यार मे

हर्ष से भरी हुई

डगर डगर गली गली

झूमते हुए चली

अपनी मित्र मंडली


किसने किया ये प्रचार

कौन था सूत्र धार

किस हृदय की आस थी

कैसे हुई ये साकार

विवेक मे,विचार मे

जहां जहां शमा जली

झूमते हुए चली

अपनी मित्र मंडली

यात्रा का प्रथम पड़ाव

शांति का सुंदर लिखाव

ज्ञान का प्रमान है ये

कौन सा स्थान है

ये पवित्र सत्कर्म की

महान जैन धर्म की

परम पूज्य तपस्थली

झूमते हुए चली

अपनी मित्र मंडली


अद्भुत अलौकिक मनोहर

मानव निर्मित सुंदर शिखर

जीवन के नैतिक मूल्यों की

कल कल बहती सरिता निर्झर

ऋषभदेव के चरणों मे

अर्पण करके पुष्पांजलि

झूमते हुए चली

अपनी मित्र मंडली


सुंदर सरल सत्य अविनाशी

शिव की महिमा गाती काशी

जीवन में दुख, दुख में जीवन

हे शिव ! करना कृपा जरा सी

हम सब तेरे सम्मुख आये

ज्ञान पुंज के दीप जलाए

दया हृदय में करुणा भर दे

आत्म बोध का अनुपम वर दे

सारनाथ से हृदयों में लेकर

अभिनव गीतांजलि

झूमते हुए चली

अपनी मित्र मंडली।



स्मरण:कॉलेज के दिनों में मित्रो/सहपाठियों के साथ प्रयाग से सारनाथ (बनारस) तक की यात्रा,जैन मंदिर धाम “तपस्थली”होते हुए बेहद सुखद और आनंददायी रही। मित्रों संग अपनी सांस्कृतिक एवं आध्यात्मिक विरासत का अवलोकन निश्चय ही सौभाग्य से मिलता है ।



देवेंद्र प्रताप वर्मा"विनीत"

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रचनाएँ
प्रतीक्षा
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अनायास अचेतन में उठे विचारों का संग्रह ।
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संतोष

11 अक्टूबर 2016
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असफलताओं का क्रम, साहस को अधमरा कर चुका है। निराशा की बेड़ियाँ कदमों मे हैं, धैर्य का जुगनू लौ विहीन होता, अँधेरों के सम्मुख घुटने टेक रहा है। और उम्मीदों का सूर्य, विश्वास के क्षितिज पर अस्त होने को है। जो कुछ भी शेष बचा है, वह अवशेष यक्ष प्रश्न सा है। क्या अथक परि

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ईर्ष्या

11 अक्टूबर 2016
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अरुणोदय की मधुमय बेला में मैंने उसे देखा। नव प्रभा की भांति वह भी हर्ष से खिला था, मानो धरा से फूटी किसी नई कोंपल को पहली धूप का स्नेह मिला था। शिष्टता के अलंकार में अति विनीत हो, उसने मुझसे नमस्कार किया , और अप्रतिम आनंद का प्रतिमान मेरे ह्रदय में उतार दिया। मुझे

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एकाकीपन

11 अक्टूबर 2016
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वो शहर के नुक्कड़ का बड़ा मकान और उसका छोटा सा कमरा, स्मृतियों के पार कहीं भूला कहीं बिसरा। असफलताओं से निराश, मुझे देख उदास, मुझसे लिपट गया और बोला, चल मेरी सूनी पड़ी दीवारों को फिर सजाते हैं, और कुछ नए स्लोगन आदि यहाँ चिपकाते हैं। भूल गया कैसे अपने हर इम्तिहान से पहले

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झूमते हुए चली

12 अप्रैल 2018
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प्रयाग से सारनाथहर कदम पे साथ साथझूमते हुए चली अपनी मित्र मंडली भक्ति की बयार मेहंसी खुशी के सार मे मौज की फुहार मे दोस्ती मे प्यार मे हर्ष से भरी हुई डगर डगर गली गली झूमते हुए चली अपनी मित्र मंडली किसने किया ये प्रचार कौन था सूत्र ध

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पूरब भैया

22 अप्रैल 2018
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जब मैंने कह दिया कि मुझे ये नही पसंद है तो बार बार तुम लोग क्यों जिद करते हो... आकाश ने ग्लास को टेबल पर सरकाते हुए कहा। आज आखिरी दिन है इस हॉस्टल मे फिर पता नही हम लोग कहा होंगे... मिल पाएगे भी या नही... आज तो पी ले हमारे लिए,बस एक पैग..... और इस दिन को यादगार बना दे । द

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मजदूर

3 मई 2018
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मै हुक्म पर हुक्म दिए जा रहा थावह श्रम पर श्रम किये जा रहा थाबिना थके बिना रुकेतन्मयता से तल्लीनअदभुत प्रवीनपसीने में डूबासामने रखेजल से भरे घड़े की ओर देखता हैफिर उंगलिया सेमाथे को पोछता हैमाथे से टूटतीपसीने की बूंदेधरा पर गिरती,बनाती,सूक्ष्म जलाशय क्षण भर कोफिर उतर जातीधरा की सतहसे धरा के हृदय मेंव

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अंध विश्वास

23 फरवरी 2024
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यूँ तो उन दिनोंआज वाले ग़म नही थेफिर भी बहाने बाजी मेंहम किसी से कम नही थेजब भी स्कूल जाने का मननही होता थापेट मे बड़े जोर का दर्द होता थाजिसे देख माँ घबरा जातीऔर मैं स्कूल ना जाऊं इसलिएबाबू जी से टकरा

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