जिंदगी विरान है
कुछ रास्ते चाहिए
मंज़िल की तलाश में
निकले हैं कुछ पंछी
रैनबसेरा चाहिए
थक गया हूँ ऐ जिंदगी
दो पल ठहर जाऊँ
जी भर के देख लूँ
मैं उनको
बस थोड़ी मोहलत चाहिए
जिंदगी में बहुत कुछ मिला
बस नहीं मिला तो समय
बस वो ही समय वापस चाहिए
जब हँसते थे उनके साथ
रिश्ते भी जब मतलब के न थे
माँ की वो गोद में सर रख सकूँ
वो सुकून के दो पल चाहिए
ऐ जिंदगी तू क्यों इतनी विरान है
फिर से मुझे वही गलियाँ चाहिए
दे दे मुझे मोहलत फिर से
उस बचपन को जी लूँ
फिर से वही प्यार वापस पा लूँ
वही सुबह मुझे फिर से चाहिए
और वही रैनबसेरा चाहिए.....
तरुण.....