बायोडाटा
वक्त बदला और वक्त का अहसास भी।
जागी है हिम्मत और जागा विश्वास भी।
अबला से सबला बन चुकी हूँ आज मै-
जाग चुकी हूँ मैं और बनूगी खास भी।
मैं डॉ रेखा जैन शिकोहाबाद से दिल्ली की मूल निवासी हूंनारायण कालेज शिकोहाबाद से 2020मे हिंदी विभाग से सेवा निवृत्त हूं।
कविता , मुक्तक, गीतिका,छंद ,लेख , निबंध,आलेख लिखती हूं। बहुत से सम्मानित अखबारों ,मैगजीन में अब तक लगभग दो सौ रचनाएं प्रकाशित हो चुकी है।
आगरा आकाशवाणी में वार्ता प्रसारित कर चुकी।
अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के कुलपति द्वारा सम्मान मिला।
- अनेक मंचों से सम्मान पा चुकी