" हमारी और पूर्वजों की जीवन शैली आज की युवा पीढ़ी "
हमारे पूर्वजों की जीवन शैली में बहुत अंतर है आज की पीढ़ी पुरानी पीढ़ी को दकियानूसी, और छोटी सोच वाली समझती है। साड़ी में पूरा बदन ढकना उन्हें अच्छा नहीं लगता।सुबह जल्दी उठना, पूजा-पाठ करना भी नहीं अच्छा लगता। किंतु मैं युवा पीढ़ी से पूछना चाहती हूं जब कोई उनकी बहन बेटी की अस्मत से खेलता है क्यों?जब नंगे बदन सरे राह रात दिन घूमेंगी तो क्या होगा।जब बीमार पड़ जाते हो तब बीमारी से छुटकारा पाने को कुछ भी करने को तैयार रहते हैं।चाहे पूजा करनी पड़े या किसी से तंत्र मंत्र यंत्र लेना पड़े।एक कहावत है 'मरता क्या नहीं करता'आज युवा पीढ़ी पर अक्षरशः सत्य प्रतीत होती है।कहने को तो बहुत कुछ है लेकिन घर के बड़े बुजुर्ग की वो शीतल छांव के समान है जो तपती दुपहरी में ठंडक प्रदान करते हैं। इसलिए उन्हें मान की, सम्मान की,दो मीठे बोल की, आवश्यकता है और किसी चीज की नहीं।