कलम की ताकत से मंजिल फको पाना
निःशुल्क
राजनीति की नाव***************दोहा गीतिकापदांत-आवराजनीति की नाव पर, तैरे नेता चाव।जन सेवा के राग पर ,छूते सबके पांव।(1)बावरी होती जनता,चलती जनमत साथपाती है विश्वास में, ठोकरें भरी ठांव।(2)वादे करें लुभ
गीतिकाकुर्सी का लालच लिए ,करने लगते झोल।नेता पहने डोलते,मानवता का खोल।(1)बातूनी नेता सदा,प्रति दिन फेंके जाल।औंधें मुख गिरता तुरत ,जब खुलती हैं पोल।(2)राजनीति के नाम पर,मचती लूट खसोट।राजनीति करती दिखे
बायोडाटावक्त बदला और वक्त का अहसास भी।जागी है हिम्मत और जागा विश्वास भी।अबला से सबला बन चुकी हूँ आज मै-जाग चुकी हूँ मैं और बनूगी खास भी।मैं डॉ रेखा जैन शिकोहाबाद से दिल्ली की मूल निवासी हूंनारायण काले
#काव्योदय आज चुनाव पर कुंडलिया छंद बहरी जनता के लिए,अंधा नेता ठीक। वाह वाह करते रहे, सभी तरह से नीक। सभी तरह से नीक,विवश है जनता भारी। चाहे डाले कूप, उफ़ न करते नर-नारी। कहती" रेखा"आज, बात है अति ही
नेता जी ने गिन लिये,अपने वोटर आज।मोटे पतले सब गिने, पहनेंगे वो ताज।पहनेंगे वो ताज, सभी सौगात दिलाएंकरना हमको राज,यही औकात दिखाएं।कहती रेखा आज,न कोई नैया खेता।कर कुर्सी पर नाज,स्वार्थी भैया
किन्नरताली पीट नृत्य करें ,मांगे किन्नर नेग।भीतर के इस दर्द को ,रोके पूरे वेग।रोके पूरे वेग, दुआएं देते सारी ।कौन जन्म का शाप,लगा है इनको भारी।कह रेखा कर जोड़, इन्हें न देना गाली।भरते अपना पेट,बजाते ह
नमस्कार साथियोंभारतीय समाज में पितृसत्ता को ही अब तक वरीयता दी जा रही है।और कहीं तक सही भी है किन्तु हर चीज के दो पहलू होते हैं एक अच्छा और दूसरा बुरा।क्योंकि ताली कभी एक हाथ से नहीं बजती । पिता परिवा
*आधुनिकता की होड़*###############आधुनिकता की होड़ में दिखा रही अंग।पहले जैसा है नहीं अब जीने का ढंग।अंग-प्रदर्शन में लगे उनका मन मलंग।फटी जीन्स पहनकर दिखाती अपना रंग।अपने मन में सोच
युवा पीढ़ी और हमारे पूर्वज की जीवन शैली " हमारी और पूर्वजों की जीवन शैली आज की युवा पीढ़ी "हमारे पूर्वजों की जीवन शैली में बहुत अंतर है आज की पीढ़ी पुरानी पीढ़ी को दकियानूसी,