राम मंदिर का मसला सुलझा नहीं कि हिन्दू और मुस्लिम के बीच तकरारें पैदा करने के लिए एक और नया बखेड़ा आकर खड़ा हो गया वह है ज्ञानवापी मस्जिद अर्थात् ज्ञान का कुंआ ।
ज्ञानवापी मस्जिद को आलमगीर मस्जिद भी कहा जाता है। जो वाराणसी शहर में स्थित है । यह मस्जिद हिंदुओ के मंदिर काशी विश्वनाथ मंदिर से सटी हुई है और इस वक्त काफी विवादों में हैं। वैसे यह मस्जिद 1991 से विवादों में चल रही है मगर इसका 2022 के सर्वे के बाद यह बहुत ज्यादा चर्चित है क्योंकि मस्जिद के वाजूखाने में 12.8 व्यास का शिवलिंग मिला है। इस मंदिर के ऊपर जब आक्रमण हुआ था तो यहां के तत्कालीन पुजारी ने इसे बचाने के लिए ज्ञानवापी कूप में छुपा दिया था ।
पूर्व कोर्ट कमीशनर श्री अजय मिश्र ने 6 और 7 मई कको एक रिपोर्ट पेश की ,,,जिसमें लगभग 2-3 पन्नों की रिपोर्ट है। इसके मुताबिक, 6 मई को किए गए सर्वे के दौरान बैरिकेडिंग के बाहर उत्तर से पश्चिम दीवार के कोने पर पुराने मंदिरों का मलबा मिला, जिस पर देवीदेवताओं की कलाकृति बनी हुई थी और अन्य शिलापट पट्ट थे, जिन पर कमल की कलाकृति देखी गईं। पत्थरों के भीतर की तरफ कुछ कलाकृतियां आकार में स्पष्ट रूप से कमल और अन्य आकृतियां थीं, उत्तर पश्चिम के कोने पर गिट्टी सीमेन्ट से चबूतरे पर नए निर्माण को देखा जा सकता है। उक्त सभी शिक्षा पट्ट और आकृतियों की वीडियोग्राफी कराई गई। उत्तर से पश्चिम की तरफ चलते हुए मध्य शिला पट्ट पर शेषनाग की कलाकृति, नागफन जैसी आकृति देखी गईं। शिलापट्ट पर सिन्दूरी रंग की उभरी हुई कलाकृति भी थीं। शिलापट्ट पर देव विग्रह, जिसमें चार मूर्तियों की आकृति बनी है, जिस पर सिन्दूरी रंग लगा हुआ है, चौथी आकृति जो मूर्ति की तरह प्रतीत हो रही है, उस पर सिन्दूर का मौटा लेप लगा हुआ है। शिलापट्ट भूमि पर काफी लंबे समय से पड़े प्रतीत हो रहे हैं। ये प्रथम दृष्टया किसी बड़े भवन के खंडित अंश नजर आते हैं। बैरिकेडिंग के अंदर मस्जिद की पश्चिम दीवार के बीच मलबे का ढेर पड़ा है। ये शिलापट्ट पत्थर भी उन्हीं का हिस्सा नजर आ रहे हैं। इन पर उभरी कुछ कलाकृतियां मस्जिद की पीछे की पश्चिम दीवार पर उभरी कलाकृतियों जैसी दिख रही है। परंतु मुस्लिम पक्ष के विरोध के कारण यह सर्वे रुक गया।
पहली रिपोर्ट के बाद विशेष कोर्ट कमीशनर ने
14 से 16 मई के बीच सर्वे करने बाद एक रिपोर्ट पेश की जो मुस्लिम पक्ष के विरोध के बाद हुआ था। ये लगभग 12-14 पन्नों की रिपोर्ट है। अजय कुमार मिश्र की तरह विशाल सिंह की रिपोर्ट में भी मस्जिद परिसर में हिंदु आस्था से जुड़े कई निशान मिलने की बात कही गई है। रिपोर्ट में शिवलिंग बताए जा रहे पत्थर को लेकर भी डिटेल में जानकारी दी गई है। रिपोर्ट में कहा गया है कि वजूखाने में पानी कम करने पर 2.5 फीट का एक गोलाकार आकृति दिखाई दी, जो शिवलिंग जैसा है। गोलाकार आकृति ऊपर से कटा हुआ डिजाइन का अलग सफेद पत्थर है। जिसके बीच आधे इंच से का छेद है, जिसमें सींक डालने पर 63 सेंटीमीटर गहरा पाया गया। इसे वादी पक्ष ने शिवलिंग बताया तो प्रतिवादी पक्ष ने कहा कि यह फव्वारा है परंतु जब हिंदू पक्षकारों ने सर्वे के दौरान कथित फव्वारे को चालकर दिखाने को कहा तब मस्जिद कमेटी के मुंशी ने फव्वारा चलाने में असमर्थता जताई। फव्वारे पर मस्जिद कमेटी ने गोल-मोल जवाब दिया। पहले 20 साल और फिर 12 साल से इसके बंद होने की बात कही गई। कथित फव्वारे में पाइप जाने की कोई जगह नहीं मिली है। रिपोर्ट में तहखाने के अंदर मिले साक्ष्यों का जिक्र करते हुए कहा है कि दरवाजे से सटे लगभग 2 फीट बाद दीवार पर जमीन से लगभग 3 फीट ऊपर पान के पत्ते के आकार की फूल की आकृति बनी थी, जिसकी संख्या 6 थी। तहखाने में 4 दरवाजे थे, उसके स्थान पर नई ईंट लगाकर उक्त दरावों को बंद कर दिया गया था। तहखाने में 4-4 पुराने खम्भे पुराने तरीके के थे, जिसकी ऊंचाई 8-8 फीट थी। नीचे से ऊपर तक घंटी, कलश, फूल के आकृति पिलर के चारों तरफ बने थे। बीच में 02-02 नए पिलर नए ईंट से बनाए गए थे, जिसकी वीडियोग्राफी कराई गई है। एक खम्भे पर पुरातन हिंदी भाषा में सात लाइनें खुदी हुईं, जो पढ़ने योग्य नहीं थी। लगभग 2 फीट की दफती का भगवान का फोटो दरवाजे के बाएं तरफ दीवार के पास जमीन पर पड़ा हुआ था जो मिट्टी से सना हुआ था। रिपोर्ट में कहा गया है कि एक अन्य तहखाने में पश्चिमी दीवार पर हाथी के सूंड की टूटी हुई कलाकृतियां और दीवार के पत्थरों पर स्वास्तिक और त्रिशूल और पान के चिन्ह और उसकी कलाकृतियां बहुत अधिक भाग में खुदी हैं। इसके साथ ही घंटियां जैसी कलाकृतियां भी खुदी हैं। ये सब कलाकृतियां प्राचीन भारतीय मंदिर शैली के रूप में प्रतीत होती है, जो काफी पुरानी है, जिसमें कुछ कलाकृतियां टूट गई हैं।
जिस दिन सर्वे रिपोर्ट दाखिल की गई थी उसी दिन सुप्रीम कोर्ट मे भी सुनवाई हो रही थी और सुप्रीम कोर्ट ने वाराणसी सत्र न्यायालय के सुनवाई पर रोक लगा डी और सुनवाई 20 मई तक टल गई। 20 मई को सुप्रीम कोर्ट ने आदेश जारी किया की मामले की फिलहाल सुनाई वाराणसी सत्र न्यायलय ही करे और 17 मई का आदेश जो था की शिवलिंग की सुरक्षा की और नमाज़ मे कोई बाधा न आए वो 8 हफ्ते तक प्रभावी रहेगा। सुप्रीम कोर्ट मे मामले की अगली सुनवाई गर्मी के छुट्टी के बाद जुलाई के दूसरे हफ्ते होगी। सुप्रीम कोर्ट ने मामले को वापस वाराणसी जिला अदालत को ट्रैन्स्फर कर दिया और जज ए. के. विश्वेश को मामले की सुनवाई की जिम्मेदारी दी। कुछ दिन सुनवाई चली और हिन्दू पक्ष ने सर्वे रिपोर्ट को सार्वजनिक करने का अनुरोध किया पर मुस्लिम पक्ष ने इसका विरोध किया परंतु जज ने सार्वजनिक करने की अनुमति दे दी। वादी और हिन्दू पक्ष को रिपोर्ट फाइल मिली पर उनके देखने के पहले ही रिपोर्ट मीडिया मे लीक हो गई। विडिओ म साफ तौर पर हिन्दू मंदिर की कलाकृतिया और वाजुखाने की शिला बिल्कुल शिवलिंग जैसी प्रतीत हो रही थी। अगले दिन जब वादी पक्ष की महिलाये कोर्ट को वापस रिपोर्ट देने कोर्ट गई पर कोर्ट ने वापस लेने से मना कर दिया और विडिओ लीक होने के जांच के आदेश दिए। अगले दिन मुस्लिम पक्ष ने लगभग 51 पन्नों का अपना जवाब कोर्ट ने दाखिल किया जिसके कारण पूरा दिन बीत गया और गर्मी की छुट्टियों के कारण मामले की सुनवाई जुलाई तक टल गई और हिन्दू पक्ष अपना जवाब दाखिल नहीं कर पाया।