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कहा चला रे इन्सान

2 जनवरी 2022

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बहोत सालो पहले एक ग्रह का निमार्ण हुआ था तब के समय में कई सरे जिवन इसी गृह में जन्म लिए अगर जिवन है तो भोजन भी होगा जिसके पिछे उस समय के जीवित चीजों ने अपने अपने भोजन की ख़ोज शुरु कर दी कुछ तो पानी में जा पहुंचे कुछ तो tree 🌴🎄 में जाके रहने लगे और बचे कूचे कुछ जीव उस ग्रह के भूमि पर रहने लगे उस समय भूमि पर कई सारे जीव रहते थे उनमें से कुछ जीवो के नाम थे इन्सान, जानवर ,पछी

अब उन दिनों ना तो इन्सान को अक्ल थी ना तो जानवर को अक्ल थी सब कुछ भी खा लेते थे उस समय का इन्सान जानवर का सीकर करके खाता था क्यू खाता था क्यू की उसे जीवन का महत्व नहीं पता था और ना हि अक्ल थी उस समय इन्सान वस्त्र नहीं जानता था ना ही पहनता था क्यू नही पहनता था क्यू कि लाज saram क्या हैं तब उन्हें नहीं पता था धीरे धीरे इंसान का विकास हुआ वो समझदार बनने लगा कच्चा मांस खाना बंद कर दिया कपड़े पहनना शुरु कर दिया साथ में रहने लगे पहले अलग अलग थे पर धीरे धीरे साथ रहने लगे फिर जैसे जैसे समय बीता हम उस समय से इस समय में आए इस समय में आते आते हमे जाने क्या हो गया और हम फिर से पीछे के समय में जानें लागे

में बताता हू कैसे

उन समय में हम साथ में नही रहते थे हमने अपना मुंह नहीं देखा और ना ही इंसान केसा दिखातआ हैं वो पता था तो हम इन्सान को भी खा लेते थे क्यू कि उस समय हम जानवर जैसी चीजों को मार कर खाते थे उसके बाद मध्य काल आया जब इन्सान खेती करने लगा और उगी हुईं चीज़ खाने लगा और अब फिर से वही इंसान जो पहले जैसा था आदिमानव जैसे वैसा बनता गया और बन गया हैं आज इन्सान कुछ भी खा लेता हैं

उस समय इन्सान कुछ वस्त्र नहीं पहनता था क्यों क्यूंकि इन्सान में अक्ल नहीं थी उसे लाज नही आती है फिर धीरे धीरे इन्सान का विकास हुआ वो अपने अंग को वस्त्र से डलने लगा मध्य काल में वो समझदार था फ़िर आता है आज का समय जब इन्सान के पास न अक्ल है न लाज वस्त्र हो के भी जितना छोटा हो सके उतना छोटा पहनता हैं आगे चल के कुछ नही पहने ga इंसान और धीरे धीरे हम उसी समय में जा रहे हैं जिस समय से सुरू हुई थे और एक दिन अन्त हों जायेगा

जिस तरह वो जानवर जो अपने ही जाती के जानवरो को खाता हैं और अंत में वो सब मर जाते हैं उस जानवर का अंत हों जाता है या वो विलुप्त हो जाता है

उसी प्रकार हम इन्सान एक दूसरे को मार कर चाहे वो केसा भी तरीका हो कोई युद्ध हो या धरती को प्रदूषित करके चाहे जो तारिका हो पर मरेगा इन्सान ही एक समय बिलुप्ती का आएगा

जहा से धरती ने सुरु किया था वहीं पर धारती का अन्त होगा

वो ग्रह जो बहोट समय पहले बना था वो हमारा घर धरती है और और जिस तरह घर की देख भाल ना करो तो वह समय से पहले खतम हों जाता हैं उसी प्रकार ये धारती का भी अंत समय से पहले होगा अगर हमने देख। भाल नहीं की तो

और कृपा करके हेइंसान उस रूप या उस समय में मत जाओ जिस समय में तुम्हारा अस्तित्व आया था क्यूं की वो समय बहौट दर्द नाक होगा  अगर हमे उस समय किसी चीज़ की जरूरत नही होता तो हम इस समय तक आते ही ना हम आज भी आदिमानव रहते पर हमे बहित सारी चीज़ों की जरुरत थी तब हम यहां तक पहुंचे हैं और यहीं रहो पिछले समय में मत जाओ

मानव को अपने अंदर मानवता रखनी चाहिए

अपनी लाज अपने अंग छीपा कर चलने चाहिए

किसी जीव को मार कर नही खाना चहिए

अपनी धारती को साफ़ रखना चाहिए

कुछ बुरा लागे तो माफ़ करिए गा

धारती हमारा घर हैं घर में हमारा अधिकार हैं अगर कहीं पर धारती प्रदूषित होता हैं तो उसे बचाना चहिए

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सच हमें समय रहते चेत जाना चाहिए और अपनी धरती का हर तरह से ध्यान रखना होगा बहुत अच्छी चिंतन प्रस्तुति बीच-बीच में अंग्रेजी के शब्द और हिंदी में बहुत सी अशुद्धियाँ हैं, शायद हिंदी अनुवाद के कारण ऐसी स्थिति निर्मित हुई होगी , कृपया यदि आप गूगल इनपुट उपकरण को उपयोग में लाएंगे तो हिंदी लिखने में सुगमता आ जायेगी

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