20 अगस्त 2015
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,
बेहतर से बेहतर की तलाश कर,
मिल जाये नदी तो समंदर की तलाश कर,
टूट जाते है शीशे पत्थर की चोट से ,
टूट जाये पत्थर ऐसे शीशे की तलाश कर !
{{{{पिंटूरेगर}}}
,
बेहतर से बेहतर की तलाश कर,
मिल जाये नदी तो समंदर की तलाश कर,
टूट जाते है शीशे पत्थर की चोट से ,
टूट जाये पत्थर ऐसे शीशे की तलाश कर !
{{{{पिंटूरेगर}}}
D
पिंटू जी सही फ़रमाया ।.......बस इतना सा ही फ़र्क लकिन दुनिया बदल देता है
26 सितम्बर 2015