*शापयुक्त उसका जीवन*
तेजपुंज सा लाल गोद में
कर न सकी वो निर्धारण
लोक-लाज भय चिंता हावी
किया उसने उसका वारण
राधा का वह पुत्र यशस्वी
अजेय योद्धा उपकारी
तिरस्कार का दंश सहा पर
दानशीलता कब हारी
एक मित्रता सच्ची पाई
सदा किया जिसने तारण
लोक-लाज भय चिंता हावी
किया उसने उसका वारण।।
महासमर में जीत सकेगा
उससे कोई वीर भला
पग-पग पर अपनों ने ही फिर
छलना से तब उसे छला
महारथी ने पंथ चुना जो
दुर्वह था उससे सारण
लोक-लाज भय चिंता हावी
उसने किया उसका वारण।।
दैव सदा विपरीत चला था
शापयुक्त उसका जीवन
हँसते-हँसते वार दिया सब
उसने अपना तन-मन-धन
चक्र फँसा सब मंत्र भूलता
शाप मिला या गुरु कारण
लोक-लाज भय चिंता हावी
उसने किया उसका वारण।।
अभिलाषा चौहान'सुज्ञ'