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कविता

20 जनवरी 2017

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लिखें प्रेम कविता '> कविता एँ...

लिखें देशप्रेम लिखें दया...

लिखें वफा लिखें हरियाली...

लिखें जीवन लिखें व्यंजन ...

लिखें रंग लिखें भाईचारा...

लिखें सुकून लिखें अमन...

लिखें बसंत लिखें औरत का मान...

लिखें ख्वाब लेकिन बार्डर पे छलनी सीनों पे..

सड़क किनारे भिखमंगो पे अखबारों की मैली खबरों पे लुटी अस्मिता पे चौराहों पे... खेतों में.. भूके पेटों में गरीब के नंगे बदन पे सरकारी अस्पातालों के बेडों पे सूनी उजडी मांगों में पोत आऊँ ये सारीं रस भरीं कविताएँ.. !!

ऐंसा मेरा दिल करता है..

अंशुल अर्च की अन्य किताबें

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वह ...

7 सितम्बर 2016
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वो आंखो के काले घेरों पे foundation मलकर, निकलती है। वो धो लेती है आंसू washroom में और निकलती है होठों पर मुस्कुराहट मलकर।फिर गले लगाती है कसकर और गर्माहट प्यार की बॉटतें हुए मिलती है।वो चहकती है चिरैया के ज

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हिंग्लिश या हिन्दी

15 सितम्बर 2016
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ज़माना हिंग्लिश का हो चला है,मै भी अछूती नहीं इसीलिए उसी रंग की हूँ.. 12हवी तक हिन्दी में पढाई की,लेकिन मेडिकल तो हिन्दी में नहीं होता न..! तो फिर शुरु किया हिन्दी में याद करना और इंग्लिश में लिखना। लेकिन बात जमी नहीं और अब हाल यह है कि

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हिंसा

15 सितम्बर 2016
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आज से लगभग 200 साल पहले हमारे रतले खानदान में भैंसें की बलि दी जाती थी.. नवदुर्गा में!!कुछ समय बाद भूरे कद्दू पर सिंदूर मलकर तलवार से काटा जानें लगा,भैंसें के प्रतीक के रूप में।और इस तरह हमारे परिवार में अंत हुआ पशुबलि की प्रथा का।हिन्दू भी कुछ कम नहीं है, यह कहना होगा!!आ

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तो'

14 जनवरी 2017
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कभी -कभी कितने ही खयाल मन में हलचल करने लगते हैं एक साथ ... सोचती हूँ.... इत्ता भी क्या भावनाअों का होना कि चैन से जी भी ना पाउँ। हर कदम, हर सांस ही भारी हो जाये... इतना भी क्युं जिम्मेदारी लेना या यूं कहें कि खुद को समझदारी का जीता जागता नमूना बना डाला मैने।ये लाइनें सिर

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कविता

20 जनवरी 2017
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लिखें प्रेम कविताएँ...लिखें देशप्रेम लिखें दया... लिखें वफा लिखें हरियाली... लिखें जीवन लिखें व्यंजन... लिखें रंग लिखें भाईचारा... लिखें सुकून लिखें अमन... लिखें बसंत लिखें औरत का मान... लिखें ख्वाब लेकिन बार्डर पे छलनी सीनों पे.. सड़क किनारे भिखमंगो पे अखबारों की मैली

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#डायरी 14-10-2016 ब्रैस्ट-कैंसर

20 जनवरी 2017
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#डायरी 14-10-2016 भारत-भवन में चल रहें नेशनल प्ले फेस्टिवल में मंचित होने वाले नाटक को देख पानी की उत्सुकता में 1- घंटे पहले ही पहुँच गये हम... आदतन।भारत-भवन कलाकार और कलाप्रेमियों के लिये जादुई दुनियाँ से कम न हैं। कलाकार जादू रचतें हैं और कलाप्रेमी उस जादू में होकर एक

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#पता_नहीं

20 जनवरी 2017
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#पता_नहीं अपनी दोस्त के साथ स्कूटी से जाते वक्त.. मेरी नज़र उसके हेंडल पर लटकी हुई सूखे गेंदें की माला पर गयी.. तो मैने बोला.. के होगयी थी पूजा,अब तो निकाल लो इसे.. फेंक देना,वरना फंसेगी।तब वह कहने लगी.. के अभी फेंक देतें हैं। निकाली माला..

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