हम लड़कियों के माँ बाप कितने मजबूर होते है
यूँ तो हमे लक्ष्मान कहा जाता है
पर हमारे जन्म लेते मातम सा छा जाता है
अगर सुन्दर है ओ फिर भी थोड़ा ठीक होता है
और जो हो जाये थोड़ी श्याम वर्ण फिर तो अभिश्राप बन जाता है
पढ़ाओ चाहे जितना खर्च कर लाखो
फिर भी सैलरी कहाँ उनके हाथ आ पाता है
सुन्दर हो ,जॉब हो, लम्बी हो फिर शादी की बात होती है
और दहेज़ के नाम पे खत्म हर बात होती है
अगर लड़के चाहे तो, खत्म आज ये हालात होते
हर लड़की अपने माँ बाप के लिय शान की बात होती
जो हर लड़का करे बिना दहेज़ शादी तो
हर घर में बेटियाँ खुशियो की शौगात होती