2 जुलाई 2015
बहुत बढ़िया रचना है जी
3 जुलाई 2015
सपना जी, ये अच्छा है कि व्यथित मन के भाव कविता के माध्यम से ही सही लेकिन ह्रदय से बाहर निकलें अवश्य। सुख-दुख, मिलन-विछोह...रात और दिन की भांति जीवन में साथ-साथ चलते हैं। जो इन सबके साथ अपने कर्तव्य-मार्ग पर चलते जाते हैं, वही गंतव्य तक पहुँचते हैं। एक ऐसी रचना करें जिसमें आशा की बात हो, जीवन संघर्षों से जूझने की बात हो, और इसके बाद सकारात्मक सोच दर्शाती रचनाएँ करती ही जाइए, हमें पूर्ण विश्वास है कि सफलता मिलेगी, और जीत आपकी होगी। आपकी अग्रिम रचना की प्रतीक्षा...
3 जुलाई 2015
HRDY KEE VYTHA KO SARTHAK SHABDON ME PRASTUT KIYA HAI AAPNE .AABHAR
2 जुलाई 2015