हिंदी वर्णमाला का वैज्ञानिक महत्व समझने समझाने के लिए कईं
महापुरुष अपना
योगदान देकर हमारा कार्य सरल कर गये हैं.
यहाँ इस लेख के माध्यम से अ अनपढ़ से ज्ञ ज्ञानी बनने
की यात्रा को
अपनी कलम से लिखने का छोटा सा प्रयास किया है.
हिंदी वर्णमाला अथाह सागर है,इसमें से दो बूँदे निकाल कर कुछ पीने
और
पिलाने का हौंसला किया है.आशा करता हूँ कि ये कोशिश पाठकों
को जीवन का पाठ
समझने में मदद करेगी.
अध्याय सब का जन्म लेते ही हिलोरे मारने लग जाता है,
पिछला सब भूलकर नये जन्म का अनावरण हो जाता है.
अनेक जन्मों में हमसे जाने अनजाने अपराध हो जाते हैं ,
जब भी करते हैं अवहेलना तो अभिशाप भी लग जाते हैं .
इन को अलंकार में परिवर्तन हेतु अनुसंधान अनिवार्य है,
अभिभावक और अध्यापक का अनुसरण ही स्वीकार्य है.
आचार्य के आशीर्वाद से आध्यात्मिकता उजागर होती है,
और आचरण में आकस्मिक आकर्षण की तृप्ति होती है.
आलस्य,आलोचना व आडंबर को आजीवन त्यागना है,
आत्मनिर्भरता और आत्मविश्वास का विकास करना है.
इतिहास के पन्नों में जगह बनाने की एक दौड़ है,
ईश्वर प्राप्ति का यह अदभुत व अचूक निचोड़ है.
उद्देश्य की तरफ आने वाली हरेक उलझन को समझना है
उनका उपाय व उपचार ढूँढकर जड़ से ही खत्म करना है,
श्रेष्ठ उपदेश उदारता,उत्साह व उत्सुकता से ग्रहण करना है,
उचित शब्दों का उच्चारण व अनुचित का उपवास करना है.
उतार चढ़ाव से घबराकर उपयोगी उसूलों को नहीं तोड़ना है,
उल्लेखनीय उदाहरण की श्रेणी में अपना भी नाम जोड़ना है.
ऊटपटाँग से तो दूर ही रहना है,
ऊहापोह निरंतर करते रहना है.
ऋजु मन को आस्था से जोड़कर रखना है,
ऋषियों की भाँति मनन भी करते रहना है.
एकाग्रता का अभ्यास एकदम एकांत में बैठकर करना होगा,
ऐश्वर्य प्राप्ति का मार्ग सरल नहीं,कठिन तप भी करना होगा .
ओजस्वी बनने के लिए कोई ओहदा मायने नहीं रखता है,
औसत व्यक्ति भी कभी कभी अपनी प्रतिभाएं परखता है.
अंग अंग में सकारात्मक उर्जा प्रवाहित करनी है,
अंतरंग पवित्र कर अंतरात्मा की शुद्धि करनी है .
अ: - प्रात: जल्दी उठ कर योगा करना सेहत के लिए लाभदायक है,
अत: योगा को अपनी दिनचर्या में शामिल करना आवश्यक है.
कर्तव्य पालन कर जगत कल्याण हेतु आगे बढ़ना है,
कोई कलंक न लगे कभी,कमल की भाँति खिलना है,
कठपुतली न बनना,कठोरता से नित्य नियम करना है,
कष्ट के पहाड़ टूट पड़ें चाहे कभी कपट नहीं करना है,
कितनी भी कड़वाहट आ जाये कमजोर नहीं पड़ना है.
कलह से दूर रह कर हर कसौटी पर खरा ही उतरना है,
खतरनाक परिस्थितियों में भी अपनी हिम्मत नहीं हरानी है,
समय खरीदा ना जाता, सही खपत ही अपने हाथ आनी है.
गड़बड़ नहीं,गबन नहीं,गलत नहीं,सही गतिविधि करनी है,
कुछ भी हो जाए गवाही गुनाहगार के पक्ष में नहीं करनी है.
घनघोर तप करने पर मन रुपी घर से घबराहट जाएगी,
घमंड घटता जाएगा, सबसे घनिष्ठता भी बढ़ती जाएगी.
ङ - गंगा नदी नहीं मां है जो पापों को हर लेती है,
शंख ध्वनि वातावरण को पवित्र कर देती है.
चमक चरित्र की चमत्कार की भाँति चहुँ ओर फैलानी है,
काल चक्र की चक्की चतुरता से पीस कर चर्चा पानी है.
चुन चुन कर अपने कर्म प्रभु के चरणों में चढ़ाने हैं,
टूटकर नहीं चढ़कर ही जो पार हों हम वो चट्टानें हैं.
छल से बहुत ही दूर रहना चाहिए,
छतरी से जल्द छत बनना चाहिए.
जटिल समस्याओं काे जड़ से खत्म करना है,
जबरदस्ती व जल्दबाजी से कुछ ना करना है.
जर्जर परिस्थिति में भी प्रभु नाम जपते रहें.
हमेशा जगमगाने की भी कोशिश करते रहें.
झड़प कभी भी झगड़े का कारण बन सकती है,
झटपट मुद्दा बदलें,यह बड़ा झटका दे सकती हैं.
ञ - चंचल मन हम को मुश्किल में डाल सकता है,
मां सोचती है अंजन गलत को टाल सकता है.
टहनियाँ हम सर्वशक्तिमान प्रभु के पेड़ की हैं,
टक्कर वो मारे जिसने प्रभुलीला टटोल ली है.
ठगी कर के ठाठ - बाट से रहना ईमानदारी नहीं है,
जहाँ न हो प्रभु सिमरन, ठहरना समझदारी नहीं है.
डरपोक बन कर जीवन डग पर डगमगाना नहीं है,
डकैती के जहर से भोले समाज को डसना नहीं है.
ढकोसला कदापि नहीं करना है,
ढलान की तरह तो नहीं ढलना है.
ण - घण्टी बजाने से सकारात्मक उर्जा उत्पन्न होती है,
गाने के लिए कण्ठ की भूमिका महत्वपूर्ण होती है.
तकनीक तथा तथ्य को समझ बुझ कर ही आगे बढ़ना है,
तन्मयता व तत्परता से ये तरक्की का सफ़र तय करना है,
तकलीफ में भी तह तक सीखने की तड़प रखनी है,
तब जाकर तरुण तन में तपस्या की भट्टी जलनी है.
थक कर बैठ जाना किसी योद्धा की निशानी नहीं है,
थाती न बन सके तो किसी ने पीठ थपथपानी नहीं है.
दर्शक बनने नहीं आए हैं यहाँ पर दम दिखाने आए हैं,
ज्ञान के दरवाजे खोल कर दरिद्रता को भगाने आए हैं.
रिश्ताें में कभी दरार नहीं पड़नी चाहिए,
दबाव में कोई परीक्षा नहीं देनी चाहिए.
धवल छवि वाला ही धर्म रक्षा कर सकता है,
धन से कया कोई शिव धनुष तोड़ सकता है.
नम्रतापूर्वक नमन नर-नरेश का स्वभाव होना चाहिए,
नवीनता की होड़ में प्राचीन नगीना नहीं खोना चाहिए.
नगर का नवयुवा नशे से कभी नष्ट नहीं होना चाहिए.
नस नस नकल से दूर रहे,कोई भ्रष्ट नहीं होना चाहिए.
पथ वही चुनना है,जिस पर बाद में पछताना न पड़ें,
हमसे कोई पक्षपात न हो, हम कभी परस्पर न लड़ें.
परिश्रम कर के पसीना बहाएं चाहे कोई भी परिणाम हो,
परिस्थिति कैसी भी हो बस परोपकार ही प्रथम काम हो.
परमात्मा के धाम जाने के लिए उनके पदचिन्ह पर चलना है,
परिपक्व परिजनों के परामर्श से परंपरा का सम्मान करना है.
फकीर की भाँति ये जीवन व्यतीत करना होगा,
कुकर्म तथा सुकर्म का फर्क भी समझना होगा.
बहक कर कभी भी बदनामी वाला काम नहीं करना,
बनावटी लोगों से बचकर उनका तो बहिष्कार करना .
बवंडर तो कईं आएंगे पर बहार को आने से नहीं रोक पाएंगे,
बहाने नहीं बहादुरी से जीकर बढ़िया व बहुमूल्य फल आएंगे.
भगवान की भक्ति पे भरोसा हमेशा कायम रखना है,
भला करते रहें अगर भविष्य में यही भला चखना है.
मक्कारी और मद को मन में घुसने ही नहीं देना है,
मनोरथ पूरे होंगे, हम को मधुरता बिखरते रहना है.
कभी भी किसी की मजबूरी का मजाक नहीं उड़ाना है,
मर्यादा,ममता,मजबूती का महत्व तभी समझ आना है.
यशस्वी होने हेतु यथार्थ पर टिके रहना बहुत जरूरी है,
उचित समय पे यथास्थान होना भी उतना ही जरूरी है.
रहस्य सारे भेदने के लिए रचना की तह तक जाना पड़ेगा,
रटा मारकर नहीं हर रण की रग रग को पहचानना पड़ेगा.
लक्ष्य पर पहुंचने हेतु बुरी आदतों पर लगाम लगानी होगी,
लड़खड़ाना नहीं,लहलहाना है,बस हमें लय जमानी होगी.
वसुंधरा वस्तु नहीं, जीव व वनस्पति के लिए वरदान है,
इनकी महिमा वर्णनीय नहीं, मां को बारम्बार प्रणाम है.
शरण में आए शरणार्थी से कभी मुँह मोड़ना नहीं,
षडयंत्र को शमन करने से पहले ही छोड़ना नहीं .
सद्भाव,सद्व्यवहार व सत्यनिष्ठा ही सफलता की खान है,
सच्चा, सटीक तथा सभ्य ही सज्जन पुरुष की पहचान है.
ये समर है सच्चरित्र व दुश्चरित्र का समझौता नहीं करना है,
सर्वत्र सर्वज्ञ के हर सिद्धान्तों का सख्ती से पालन करना है.
हम हमेशा हर्ष फैलाते रहें ऐसे हल ढूँढते रहना है,
किसी का हडपने की न सोचें,हवन करते रहना है.
क्षमतानुसार ही दुरात्मा का क्षय करना है,
क्षणिक भर का भी बिलम्ब नहीं करना है,
ये क्षत्रिय का नहीं, हम सब का भी धर्म है,
बेशक करे पश्चाताप तो क्षमा भी करना है.
त्रस्त मनुष्य को हर भय से भयहीन भी करना है,
ज्ञपित तो है ये कि एक दिन तो सब को मरना है.