हालात कैसे भी हों हमें विचलित नहीं होना है,
दरिद्रता छा जाए भले ही विवेक नहीं खोना है.
अपने मन को सही दिशा की ओर ले जाना है,
गलत हो जाए गलती से फिर भी नहीं रोना है.
भूलें तो होती रहती है,चिडिया चुगती रहती है,
पश्चाताप की लौ जलानी है, पाप नहीं ढोना है.
धीरे धीरे निखरेगा चरित्र,गुरू जैसे खोजें मित्र,
अडिग हों अच्छाई पर,बुराई बीज नहीं बोना है,
अपने कर्म पर हो नजर,करना है इनको अमर,
सदा ही सतर्क,कुंभकर्ण की तरह नहीं सोना है.