खुशी का ठिकाना अगर बाहर ढूँढोगे तो ठोकर ही खाओगे
गर ढूँढोगे खुशियाँ घर में तो जन्नत घर में ही पा जाओगे
जो होकर अपनों से दूर घर का एक सुनसान कोना ढूँढते हैं
तो सच मानों दुख आने पर वो ही तन्हाई में खोते हैं
जो बेकार का समय तुम परायों से चैटिंग में लगा रहे हो
सच कह रही हूँ खुशियों के ठिकाने को भूलते जा रहे हो
ये ऑनलाइन रिश्ते सिर्फ टाइम पास करने तक साथ निभाएंगे
जब भी तुम हक जताओगे तो ये खुद ही छोड़कर जाएँगे
इसीलिए खुशी का ठिकाना बस तुम्हारा घर ही है
कोई भी खुशी मोहताज अजनबी के नही है
जहाँ हो परिवार खुशियाँ वहीं पर पाओगे
फिर छोड़कर सारी दुनिया उनमें तुम खो जाओगे
कुछ मत सोचो अब तुम परिवार में खुशियाँ खोजो
एक तरफ सारी दुनिया एक तरफ परिवार को तोलो
देखना परिवार का पलड़ा बहुत भारी हो जाएगा
जिसके आगे कोई भी पराया नही टिक पाएगा।
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