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खूबसूरत कविताएँ

7 सितम्बर 2021

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तुम और हम जब सफर पर चले तो दो से एक हुए
फिर नही चला पता कि कब हम दो से चार भी हुए
जब किया था सफर शुरू तो हम दोनों ही कुँवारे थे
आज जब देखती हूँ मुड़कर तो तो क्या खूब नजारे थे।




आज भी हम जवां हैं तेरी पाक मुहोब्बत से
कल भी जवां रहेंगे जो तुमको सँग पाएँगे
बस डर लगता है अब देख कर हालात हमे
बुढापा बीते तुम्हारे सँग ऐसे हो जाओ तुम साथ मेरे





बेटी भी चली जाएगी सँग हमारे दामाद के
बहु भी ले जाएगी सँग हमारे लाल को
फिर से लौटेगा वो हनीमून का जमाना
बस तुम रहना तब साथ ताकि गूँजे मुहोब्बत का तराना




बस यही करती हूँ प्रार्थना मेरा सफर तुम सँग लम्बा चले
जब भी जाऊँ इस दुनिया से लाल जोड़े में तू विदा करे
पता नही क्या लिखा है इन हाथों की लकीरों में
काँप जाती हूँ मैं अब सोच कर बुढ़ापे को अभी से




जो सफर शुरू किया है बस खुशनुमा बना रहे
बस ऐसा करे मेरा ईश्वर प्यार हमारा अमर रहे
करती हूँ रोज अब यही ईश्वर से प्रार्थना
तुम रहो बस साथ मेरे चाहे कोई भी हो साथ ना

🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
ॐ नमःशिवाय


Komal Bhaleshwer

Komal Bhaleshwer

धन्यवाद आपका

7 सितम्बर 2021

रवीन्‍द्र श्रीमानस

रवीन्‍द्र श्रीमानस

स्‍त्री के ह्रदय की सुन्‍दर अभि‍व्‍यक्ति ।

7 सितम्बर 2021

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मेरा रक्षक

5 सितम्बर 2021
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<div>वो जिसे मैंने अपना रक्षक समझा वो ही मेरा भक्षक निकला।</div><div><br></div><div>मैं आरती, बचपन स

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मेरा रक्षक

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सुनो

12 सितम्बर 2021
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हमारी हिंदी भाषा

13 सितम्बर 2021
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<div align="left"><p dir="ltr">यूँ तो हजारों भाषाएं है यहाँ<br> लेकिन हिंदी जैसी भाषा ओर है कहाँ<br>

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ऊपर वाले की आवाज

25 सितम्बर 2021
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<div align="left"><p dir="ltr">आई है मुझे भी ऊपर वाले कि आवाज<br> चाहता तो वो भी है मुझे बुलाना अपने

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एक रास्ता तुम बना देना

1 अक्टूबर 2021
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<div align="left"><p dir="ltr">जब कोई रास्ता दिखाई ना दे तो एक रास्ता तुम बना देना<br> जब चलते चलते

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खुशियों का ठिकाना

10 अक्टूबर 2021
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<div align="left"><p dir="ltr">खुशी का ठिकाना अगर बाहर ढूँढोगे तो ठोकर ही खाओगे<br> गर ढूँढोगे

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