shabd-logo
Shabd Book - Shabd.in

khusi की डायरी

khusi

2 अध्याय
0 व्यक्ति ने लाइब्रेरी में जोड़ा
0 पाठक
निःशुल्क

 

khusi ki diary

0.0(0)

पुस्तक के भाग

1

पिता,,,,

29 मार्च 2018
0
1
1

मंज़िल दूर औऱ सफर बहुत है,छोटी सी ज़िन्दगी मैं फिकर बहुत है ,मार डालती ये दुनियां कब की हमें,लेकिन पापा के प्यार में असर बहुत है। चाहे कितने अलार्म लगा लो,सुबह उठने के लिएएक पापा की आवाज़ बहुत है।उस वक्त एक बाप की तमन्ना पूरी हो जाती है ,जब बेटी ससुराल से मायके हस्ते हुए आती है,ज़िन्दगी में दो

2

उलझन

4 अप्रैल 2018
0
0
2

उलझने बहुत हैं छोटी सी जिंदगी मेंकोई हँस कर बिता ता है कोई उलझता जाता है।साधन सहूलियत के नर जितने बनाता है,उतना ही उसका चैनों अमन खोता सा जाता है।कितनी ही मुसीबतों को खुद हमने बुलाया हैसमान तबाही का क्या ढेर बनाया है।उस पर बेफिक्र होकर क्या ठाठ से बैठे हैं,तन मन मे आग लेकर बड़ी शान में ऐंठे हैं ।नफ

---

किताब पढ़िए