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कर्ता ने कर्म से

मानव कौल

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9 मई 2022 को पूर्ण की गई
ISBN : 9788195106332

हम जितने होते हैं वो हमें हमसे कहीं ज़्यादा दिखाती है। कभी एक गुथे पड़े जीवन को कलात्मक कर देती है तो कभी उसके कारण हमें डामर की सड़क के नीचे पगडंडियों का धड़कना सुनाई देने लगता है। वह कविता ही है जो छल को जीवन में पिरोती है और हमें पहली बार अपने ही भीतर बैठा वह व्यक्ति नज़र आता है जो समय और जगह से परे, किसी समानांतर चले आ रहे संसार का हिस्सा है। कविता वो पुल बन जाती है जिसमें हम बहुत आराम से दोनों संसार में विचरण करने लगते हैं। हमें अपनी ही दृष्टि पर यक़ीन नहीं होता, हम अपने ही नीरस संसार को अब इतने अलग और सूक्ष्म तरीक़े से देखने लगते हैं कि हर बात हमारा मनोरंजन करती नज़र आने लगती है। —मानव कौल 

krtaa ne krm se

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एक खूबसूरती से तैयार की गई पुस्तक जो मानव अस्तित्व के सार और हमारे कार्यों के गहरे प्रभाव को एक साथ जोड़ती है। कर्म और मानव अनुभव के बीच जटिल संबंध की एक सम्मोहक खोज।

पुस्तक की झलकियां

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