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कुंवर रतन सिंह के बारे में

कवि,लेखक, कथाकार

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कुंवर रतन सिंह की पुस्तकें

“खिड़की, लड़की, झिड़की”

“खिड़की, लड़की, झिड़की”

कविता- संग्रह १. ‘खिड़की मेरे कमरे की' एक लड़की की राह काटती खिड़की मेरे कमरे की . उसकी मेरी ऐसी चाहत फूल से जैसे भँवरे की... . विषधर नागिन सी लहराती काली-काली सी अलकें, आमंत्रित करती सी आँखे- खुले-द्वार जैसी पलकें , पागल कर देती है मुझको

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“खिड़की, लड़की, झिड़की”

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कविता- संग्रह १. ‘खिड़की मेरे कमरे की' एक लड़की की राह काटती खिड़की मेरे कमरे की . उसकी मेरी ऐसी चाहत फूल से जैसे भँवरे की... . विषधर नागिन सी लहराती काली-काली सी अलकें, आमंत्रित करती सी आँखे- खुले-द्वार जैसी पलकें , पागल कर देती है मुझको

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