🔵 युगान्धर टाइम्स न्यूज नेटवर्क
कुशीनगर। जिले के बरवापट्टी थाना क्षेत्र के रामपुर पट्टी गांव के बकुलहवा में शुक्रवार को गन्ने के खेत में एक विलुप्त प्राय गिद्ध घायलावस्था में पाया गया। उसके दोनों पंखों में C3 टैग और बीच मे जीपीएस चिप लगा था। इसे देखने के लिए मौके पर ग्रामीणों की भीड़ उमड़ पड़ी और तरह-तरह की अफवाह उड़ने लगी। गाव वालो की सूचना पर वन विभाग और पुलिस अधिकारी भी मौके पर पहुंचे और गिद्ध को अपने कब्जे में ले लिया। वन विभाग के मुताबिक, गिद्ध को चोट लगी है या फिर वह बीमार है। उसकी जांच की जा रही है।
🔴 लोकेशन चेक के लिए लगता है जीपीएस
तमकुही रेंज के फॉरेस्ट ऑफिसर नृपेंद्र कुमार चतुर्वेदी ने बताया कि यह विलुप्त प्राय गिद्ध पक्षी है। किसी शोध संस्था ने उसके पंखों पर अपना कोडिंग और लोकेशन ट्रेस करने के लिए चिप लगाया होगा। विलुप्त हो रहे पशु पक्षियों के अस्तित्व को जानने के लिए टैगिंग किया जाता है। हालांकि अभी बहुत कुछ स्पष्ट नहीं हो पा रहा है। मगर गिद्ध के पंखों में लगे चिप के माध्यम से सारी जानकारी मिल जाएगी। गिद्ध के लिए मांसाहारी भोजन का प्रबंध किया जा रहा है। पिछले साल वन विभाग ने महराजगंज में गिद्धों की गिनती और टैगिंग कराई थी।
🔴 महराजगंज का हो सकता है गिद्ध
बता दें कि महराजगंज के फरेंदा में प्रदेश का पहला जटायु संरक्षण और प्रजनन केंद्र भी स्थापित किया जा रहा है। ऐसे में संभावना जताई जा रही है कि यह गिद्ध महराजगंज का हो सकता है।
🔵महराजगंज में पिछले साल करायी गयी थी गिद्धों की टैगिंग
पिछले साल वन विभाग ने महराजगंज में गिद्धों की गिनती और टैगिंग कराई थी। महराजगंज के फरेंदा तहसील के भारी-बैसी गांव में ‘जटायु संरक्षण और प्रजनन केंद्र’ भी स्थापित किया जा रहा है। यह केंद्र हरियाणा के पिंजौर में स्थापित ‘जटायु संरक्षण प्रजनन केंद्र’ की तर्ज पर स्थापित हो रहा है। गिद्ध संरक्षण के लिए पिंजौर देश का पहला और महराजगंज प्रदेश का पहला संरक्षण केंद्र है।
🔴नौ प्रजातियां पाई जाती है गिद्धों की भारत मे
भारतीय महाद्वीप पर गिद्धों की नौ प्रजातियां पाई जाती हैं। लेकिन गिद्धों की तीन प्रजातियां व्हाइट रैंम्प्ड (जिप्स बेंगेंसिस), लॉन्ग-बिल्ड (जिप्स इंडिकस) और सिलेंडर-बिल्ड (जिप्स टेनुइरोस्ट्रिस) भारतीय वन्य जीव अधिनियम की अनुसूची (एक) के तहत संरक्षित हैं। इन केंद्र में उनके प्रजनन और संरक्षण पर भी जोर दिया जाएगा। गोरखपुर में बनने वाला ‘जटायु संरक्षण और प्रजनन केंद्र’ बॉम्बे नेचुरल हिस्ट्री सोसाइटी (बीएनएचएस) एवं वन्यजीव अनुसंधान संगठन के साथ मिल कर स्थापित हो रहा है। केंद्र की स्थापना से पहले गिद्धों की संख्या और उनके प्राकृतिक आवास का मूल्यांकन किया जा रहा है। महराजगंज में यह उत्तर प्रदेश का पहला ‘जटायु संरक्षण और प्रजनन केंद्र’ होगा। चल रहे सर्वेक्षण का मकसद यह पता लगाना है कि गिद्धों की कौन सी प्रजाति सबसे ज्यादा खतरे में हैं। सर्वेक्षण में जीआईएस (ज्योग्राफिक इनफार्मेशन सिस्टम) मैपिंग तकनीक का भी इस्तेमाल किया जा रहा है। ताकि इनकी सही संख्या का पता लग सके। महराजगंज वन प्रभाग के मधवलिया रेंज में अगस्त 2018 में 100 से अधिक गिद्ध देखे गए थे। प्रदेश सरकार द्वारा स्थापित गो-सदन के पास भी यह झुण्ड दिखा था। वन विभाग कहना है कि वर्ष 2013-14 में गिद्धों की गणना की गई तो यूपी के 13 जिलों में 900 के करीब गिद्ध मिले थे।
🔴 गिद्ध को लाया गया वन विभाग के कार्यालय
शुक्रवार को गांववालों ने गिद्ध को पड़ा हुआ देखा तो इसकी सूचना वनाधिकारियों को दी। डीएफओ के निर्देश पर तमकुही रेंज के वन क्षेत्राधिकारी नृपेंद्र द्विवेदी ने मौके पर वनकर्मियों को भेजा। गिद्ध को उठाकर सरगटिया करनपट्टी स्थित वन विभाग के कार्यालय पर लाया गया है।
🔴 जासूसी की फैल गयी थी अफवाह
जीपीएस ट्रैकर लगा गिद्ध पाए पाए जाने के बाद जिले में सोशल मीडिया पर तेजी से अफवाह पफैल गयी कि यह किसी देश ने जासूसी के छोड़ा है। जब यह जानकारी एसपी विनोद कुमार मिश्र को मिली तो उन्होंने सूचना प्रसारित की कि इस लगा ट्रैकिंग सिस्टम किसी जासूसी आदि से सबंधित नहीं है। यह गिद्ध रिसर्च का हिस्सा है।
🔴 पुलिस अधीक्षक बोले-
पुलिस अधीक्षक विनोद कुमार मिश्र ने कहा कि पक्षी के ऊपर जीपीएस और टैग लगा है। कैमरा लगे होने की बात गलत है। वन विभाग की टीम गिद्ध को अपने कब्जे मे लेकर आवश्यक पडताल संबन्धित कार्रवाई शुरू कर दी है।
🔴 डीएफओ बोले-
डीएफओ वीसी ब्रम्हा ने बताया कि नेपाल के चितवन में बॉम्बे नेचुरल हिस्ट्री सोसाइटी (बीएनएचएस) के कोलैबोरेशन से वल्चर ब्रीडिंग पर रिसर्च चल रहा है। यह व्हाइट रंम्प्ड (जिप्स बेंगेंसिस) प्रजाति का है। उन्होंने बताया कि मुंबई की यह संस्था कई वर्षों से इस पर रिसर्च कर रही है। इसे नवंबर-2019 में छोड़ा गया था। नवंबर से ट्रैकिंग की जा रही है। इसे यहां ऑब्जर्वेशन में रखा गया है। स्वस्थ होने पर छोड़ा जाएगा।डीएफओ ने कहा कि गिद्ध या तो लंबी उड़ान से थक गया होगा या बीमार होगा। इसलिए यहां गिर गया था। रिसर्च के लिए संरक्षित प्रजाति के इन गिद्धों को छोड़ा जाता है और ट्रैकिंग की जाती है।