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laghukathae

गिरीश पंकज

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अहसास ---------------------बाहर आग बरस रही थी. पिता का अध्ययन-कक्ष भी तप रहा था. पसीने में डूबे पिता लिखने में मगन थे. अपने 'एसी'-कक्ष से निकले बेटे को पिता पर दया आई, वह बोला-''पिताजी, आपके कमरे में भी 'एसी' लगवा देता हूँ. भीषण गर्मी सहते हुए आप कैसे लिख लेते हैं ?'' <p style="color: rgb(34, 34, 34); font-family: arial, sans-serif; font-size: small; line-height:  

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