19 सितम्बर 2015
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Mai bhautiki is chhatra hu Aur Hindi ke prati meri atyant nistha haiD
मै असभ्य हूँ, क्योंकि हिंदी बोलता हूँ ।और अनपढ़ भी, क्योंकि हिंदी बोलता हूँ ।वाहय् संस्कृति से भ्रमित, पथभ्रष्ट और कुचरित्र,लोगों के कुण्ठित मन को, झकझोरता हूँ । मैं असभ्य हूँ........ देववाणी से है उद्धृत, भार
वो परिंदा जो हथेली पर उड़ता था कभी, पंखों पर आया, तो वापस ना आया।