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मै हिंदी बोलता हूँ ।

18 सितम्बर 2015

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featured imageमै असभ्य हूँ, क्योंकि हिंदी बोलता हूँ । और अनपढ़ भी, क्योंकि हिंदी बोलता हूँ । वाहय् संस्कृति से भ्रमित, पथभ्रष्ट और कुचरित्र, लोगों के कुण्ठित मन को, झकझोरता हूँ । मैं असभ्य हूँ........ देववाणी से है उद्धृत, भारत को करती अलंकृत , हिन्दीरूपी मधुरस को, जनहृदय में घोलता हूँ । मै असभ्य हूँ.............. बोलियां हैं इसकी ऐसे, वृक्ष की शाखाएं जैसे, मनका मनका साथ रखकर , एक माला जोड़ता हूँ । मै असभ्य हूँ..............

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धन्यवाद आप सभी को मेरी रचना पसंद करने के लिए...

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वर्तिका

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उत्कृष्ट रचना साझा करने के लिए धन्यवाद!

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आज के समय के कटु सत्य को दर्शाती एक उत्क्रष्ट रचना … मै असभ्य हूँ .... अति सुंदर - प्रियंका शर्मा

18 सितम्बर 2015

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mankibaten
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