इस काव्य संग्रह में संयोग ,विप्रालम्भ श्रृंगार रस और अन्य नव रसों का शब्दांकन है।
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दूर गगन से तकती अँखियाँ कहाँ हो धरती पर तुम ? आ जाओ,अब मिलकर इन