ममता का सागर गहरा है इतना |
जाऊँ जितनी गहराई में गहराता जाए वो उतना |
मेरे माँ कि विशेषता बतलाऊ मैं क्या ?
माँ तो सभी की विशेष होती है |
अतः जिस माँ का शिशु जब जब रोता है |
वो हर माँ उस शिशु के साथ रोती है |
जो भूखा हो बच्चा जिस जिस भी माँ का ,
वो हर माँ अपने हाथ का निवाला उसके हाथ देती है |
ममता के सागर में ज्यों मैने लगाई डुबकी,
तो पीड़ा जब भी हुई,जरुरत पड़ी ना मुझे रब की |
आशीष में माँ की इतना असर है |
जो हाथ वो रख दे हर दर्द बेअसर है |
कर्ज मैं उसका कैसे चुकाऊँ,
वो कहती है फर्ज था उसका, ना मानू मैं कर्ज और भूल जाऊँ |
इतने दयालु, इतने दयावान है |
हर माँ जग में सबसे महान है ||