मन में लगे भावनात्मक तारों को स्पंदन करवाने हेतु भावनात्मक मुद्दों से जुड़ी कविताएं एव कहानियां
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बालिका ओर हमारा समाजसरकार के अनेक प्रयासों एवं शिक्षा के बलभुते पर आज हमारा समाज उस जगह खड़ा है जंहा बालक बालिका में कोई भेदभाव नही किया जा रहा है हालांकि वर्षों तक हमारा समाज बालिका को कमजोर समझता आया
मां पर मेरा पहला विश्वास थे पापा परिवार का पूरा आसमान थे पापा बोलना सीखा तब सबसे आसान शब्द था पापा अब आप सबसे मुश्किल शब्द बन गये हो पापा मां से भले संस्कार मिले थे पापा जीवन जीने के सिद्बात आपसे मिल
कौन है दोस्त ?आईए सात बिंदुओं से समझते है पहला :- आपसे अपने स्वार्थ खातिर कितने जुड़े है और किनसे आप खुद स्वार्थ खातिर जुड़े है इन्हें छोड़कर अगर एक आधा बच जाये वो दोस्त है अगर नही
महिला और बदलता समाज(गगनदीप पारीक)आज समाज व उसका दृष्टिकोण बहुत ही तीव्र गति से बदलता जा रहा है ये वो ही समाज है जो महिला को अबला कहता आया आज वो ही समाज है जो इसे समानता का दर्जा दे रहा है। त्याग की इस
घर आने में पल भर की देरी में तेरे फोन कॉल की लाइन लग जाना बड़ा याद आता है।देरी के बाद इंतजार में तेरा दरवाजे पर खड़ा रहना बड़ा याद आता है।रोजा