कौन है दोस्त ?
आईए सात बिंदुओं से समझते है
पहला :- आपसे अपने स्वार्थ खातिर कितने जुड़े है और किनसे आप खुद स्वार्थ खातिर जुड़े है इन्हें छोड़कर अगर एक आधा बच जाये वो दोस्त है अगर नही बचे तो दोस्त तलाशिए साहब क्योंकि ये जीवन का मुश्किल काम है जो समय रहते होना आवश्यक है ।
दूसरा : दोस्त वो है जिससे आप घण्टो बिना सोचे बात कर सके अगर एक सैंकड के लिए ही आप अच्छे बुरे का सोच रहे है तो वो आपका दोस्त नही है
तीसरा ;- दोस्त वो है जिसे आपके बारे में आपसे ज्यादा पता है लेकिन वो आपकी कमजोरियों से आपको मजबूत बना रहा है ना कि उनका फायदा उठा रहा है
चौथा :- जिसके साथ आप खुद को बिल्कुल सहज महसूस करे दिमाक में उसको लेकर कोई प्रतिक्रिया न हो तो वो आपका दोस्त है। सभी जानकारों को दोस्त की संज्ञा न दे क्योकि दोस्ती में त्याग और समर्पण दोनों परम आवश्यक है।
पांचवा :- आज के दौर में हालांकि सम्भव नही है कि बिन स्वार्थ कोई आपसे जुड़ा हो लेकिन अगर कोई है तो आप भाग्यशाली है उस इंसान की कद्र कीजिए क्योंकि मूर्तियों में शायद ईश्वर हो या ना हो लेकिन उसमें वो अदृश्य शक्ति अवश्य रूप से है
छठा : दोस्त शब्द ही यू तो स्वार्थ से ओतप्रोत है । अगर कोई आपके अहसान उतार रहा है या आप पर अहसान कर रहा है। अगर इसका हिसांब हो रहा है तो निश्चित ही वँहा कोई दोस्ती नही है
सातवां :- आप भी ये छंटनी करके अपने जीवन को सुगम बनाइये क्योकि उस वजन को दूर तक ढोने का कोई फायदा जो नजदीक हर नुक्कड़ पर मिल जाता हो |
लेखक
गगनदीप पारीक
श्री गंगानगर
8432246500