अब मानवता से बड़ा धर्म है।
दल से बड़ा नेता।।
विचारो से बड़ी मूर्तियां हैं।
तर्क से बड़ी अंध श्रद्धा ।।
रक्त से महंगा नीर है।
ज्ञान से भारी बस्ता ।।
जो सच कहे वो अकेला है।
जो झूठ परोसे उसके यहां मेला।।
अखबारों के पन्ने बिक चुके हैं।
ध्वस्त हो गया लोकतंत्र का चौथा खंभा।
सब अपने फिरकों में कैद है।
सूना पड़ा है इंसानियत का रास्ता।।
भूपेश कुमार