हां मैं नहीं मानता ,तुम्हारे पाखंड भरे धर्म को।
भेदभाव से भरे,तुम्हारे शास्त्र और ग्रंथों को।।
हां मैं नहीं मानता,तुम्हारे बनावटी ईश्वर ,खुदा ,भगवान को।
जो बिना चढ़ावे की रिश्वत लिए किसी का भला करे।।
हां मैं नहीं मानता ,तुम्हारे रीति,रिवाजों को।
जो झूठ अंधविश्वास के लिवास से सजे धजे हैं।।
हां मैं नहीं मानता ,तुम्हारे स्वर्ग ,नर्क की नौटंकी को।
जो लोगों को डराकर उन्हें लूटने के लिए बने हों।।
हां मैं नहीं मानता ,तुम्हारे परमात्मा को ।
जो कण कण में होने पर भी कुछ नही कर सकता।।
हां मैं नहीं मानता ,तुम्हारे इस कथन को ।
की धर्म या मज़हब के बिना इंसान ,इंसान नही बन सकता।।
हां मैं नहीं मानता न कभी मानूंगा ।।
भूपेश कुमार