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जाने क्यूँ देखता है वो यूँ छुप छुप कर दूर से
कभी बात करता नहीं है वो मुझसे आकर करीब से
अनजाने में भी कभी जो देखु उसे मूड कर एक नज़र
लगता है मुझे वो मांग ही लेगा अपनी नसीब से.....!!
जाने क्या हसरत लिए वो रोज़ गुज़रता है मेरे गली से
मेरा दिल भी मानता नहीं देखे बिना उसे मेरे गली से
उठा कर एक नज़र जो देखता है वो जिस अदा से
लगता है मुझे वो मांग ही लेगा अपनी नसीब से....!!
वो नहीं कोई मेरा फिर भी कुछ अपना सा लगने लगा है
देख कर उसको मेरी आँखो में नई ख्वाब सजी हो जैसे
धीरे धीरे मेरे दिल पे वो छाने लगा है इस तरह की
लगता है मुझे वो मांग ही लेगा अपनी नसीब से....!!
मेरी होठों की हँसी देख कर वो जाने क्यूँ मुस्कुराता है
उसकी आँखों की वो कशिश दिल को बहुत लुभाती है
खोया है वो इश्क़ के खुमारी में कुछ इस तरह जैसे
लगता है मुझे वो मांग ही लेगा अपनी नसीब से....!!
अगर है कोई बात दिल में तो वो कभी कहया क्यूँ नहीं
उसे देखे बिना मेरे दिल को अब चैन आता क्यूँ नहीं
कर रही गुस्ताखियाँ धड़कने धड़क कर कुछ ऐसे की
लगता है मुझे वो मांग ही लेगा अपनी नसीब से.....!!
लिखता है प्यार की तराने जैसे वो कोई शायर हो
होती बहुत गहराई लफ़्ज़ों में उसकी जैसे किसीके नज़र की घायल हो
जुड़ते है हर अल्फाज़ नैना की उस शख्स के अहसास से
लगता है वो चुरा ही लेगा हर लफ़्ज़ लिखी ग़ज़ल से......!!
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नैना....✍️✍️💗
(काल्पनिक...)