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मौत का खेल

2 दिसम्बर 2024

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रुद्र ने डायरी को हाथ में कसकर पकड़ा और दीवार पर लिखे खून के संदेश को घूरते हुए कहा, "हमें इसे हल्के में नहीं लेना चाहिए। ये शुरुआत है।"
इतने में अचानक, फ्लैट की खिड़कियां तेज आवाज के साथ खुल गईं। ठंडी हवा के झोंके ने कमरे का तापमान गिरा दिया, और दीवारों पर अजीब आकृतियां उभरने लगीं। ये आकृतियां किसी प्राचीन भाषा में लिखे मंत्रों जैसी लग रही थीं।

रिया कांपती हुई बोली, "ये... ये सब क्या हो रहा है?"
तनु ने अरमान के पास जाकर उसका हाथ पकड़ा। "यहां कुछ तो गड़बड़ है, हमें यहां से निकल जाना चाहिए।"

लेकिन रुद्र वहीं खड़ा रहा। उसके चेहरे पर डर और गुस्से का मिला-जुला भाव था। उसने डायरी के पन्ने पलटना शुरू किया। तभी कमरे में अचानक बिजली सी चमक उठी, और दीवारों पर खून से लिखा एक और संदेश दिखाई दिया:
"तुमने इसे छूकर गलती की। अब कोई नहीं बचेगा।"

तनु ने कांपते हुए कहा, "यह खून कहाँ से आया? क्या ये सच में खून है?"
रुद्र ने दीवार के पास जाकर खून को छूने की कोशिश की, लेकिन जैसे ही उसने उंगली लगाई, उसकी उंगली पर जलन होने लगी। वह पीछे हट गया। उसकी उंगली पर हल्की लाल झलक दिखी।

"ये सामान्य खून नहीं है," रुद्र ने गहरी आवाज में कहा। "ये उसी श्राप का हिस्सा है। यह हमें रोकने के लिए है।"

अचानक, कमरे के कोने में रखा एक दर्पण टूट गया। सबने दर्पण की ओर देखा, और उसकी दरारों में एक चेहरा उभर आया—अक्षय खन्ना का चेहरा। वह धीरे-धीरे मुस्कुराया, लेकिन उसकी मुस्कान में भयावहता थी।
"तुम सब ने इसे छूकर गलती की," उसने धीरे से कहा। "अब भागने की कोशिश मत करना। यह खेल तुम्हें मेरे पास वापस लाएगा।"

रिया ने चीखते हुए अरमान को कसकर पकड़ लिया।
"हमें यहां से भागना होगा।"

लेकिन रुद्र ने अपनी जगह से हटने से इंकार कर दिया। उसने कठोर स्वर में कहा, "अगर हम भागे, तो यह हमें और डराएगा। हमें इसका सामना करना होगा। लेकिन पहले, मुझे यह समझना होगा कि अक्षय ने डायरी में क्या लिखा था। तभी हमें इसे रोकने का कोई तरीका मिलेगा।"

तभी अचानक, कमरे के हर कोने से एक ठंडी फुसफुसाहट गूंज उठी। जैसे कई आवाजें एक साथ बोल रही हों:
"भागो... अगर बच सकते हो... लेकिन बच नहीं पाओगे..."

रिया और तनु ने कमरे से बाहर भागने की कोशिश की, लेकिन दरवाजा अपने आप बंद हो गया। अरमान ने उसे खोलने की कोशिश की, लेकिन दरवाजा जैसे किसी अदृश्य ताकत ने जाम कर दिया था।
कमरे के बीच में डायरी से नीली रोशनी की लहरें उठने लगीं। रुद्र ने गुस्से में डायरी बंद करने की कोशिश की, लेकिन तभी एक और डरावनी घटना घटी।

दीवारों पर अक्षय खन्ना का चेहरा उभर आया। उसने धीमे, डरावने स्वर में कहा:
"यह सब तुम्हारे लिए है, रुद्र। तुमने मुझे धोखा दिया। अब तुम्हारी बारी है।"
कमरे का माहौल और भी डरावना हो चुका था।

डायरी से निकल रही नीली रोशनी अब पूरे कमरे को घेरने लगी थी। हर कोई सहमा हुआ खड़ा था। तभी दीवार पर अक्षय का चेहरा फिर उभरा। उसकी आंखों में क्रोध और रहस्यमय चमक थी।

अक्षय की आत्मा ने धीरे-धीरे कहा,
"यह सिर्फ मेरी आखिरी कहानी नहीं, तुम्हारी भी कहानी है, रुद्र।"

रिया ने डर के मारे रुद्र का हाथ पकड़ लिया। "रुद्र, ये सब क्या कह रहा है? अक्षय तुम्हें क्यों मारना चाहता है?"

रुद्र ने कुछ बोलने के लिए मुंह खोला, लेकिन उसके शब्द ठिठक गए।

तभी अरमान ने थोड़ा साहस जुटाकर कहा,
"रुको... मुझे एक बात समझ नहीं आ रही। अक्षय सिर्फ रुद्र को क्यों मारना चाहता है? जबकि पहले डायरी को मैने छुआ, फिर सिर्फ रुद्र को क्यों?"

कमरे में सन्नाटा छा गया। अक्षय का चेहरा दीवार से गायब हो गया, और एक ठंडी फुसफुसाहट पूरे कमरे में गूंजने लगी:
"क्योंकि कहानी की शुरुआत रुद्र ने की थी।"

रुद्र ने गहरी सांस लेते हुए कहा,
"यह सब बकवास है। अक्षय बस बदला लेना चाहता है। लेकिन... हमें इस कमरे से निकलना होगा। वरना ये डायरी हमें जिंदा नहीं छोड़ेगी।"

रिया ने घबराते हुए कहा,
"लेकिन दरवाजा बंद है। वो तो किसी अदृश्य ताकत से जाम हो चुका है। हम कैसे बाहर निकलेंगे?"

तभी डायरी के पन्ने अपने आप पलटने लगे। उसमें लिखा था:
"अगर बचना चाहते हो, तो खेल को पूरा करो। हर सवाल का जवाब दो। वरना, एक-एक करके सब मरोगे।"

तनु ने कांपते हुए कहा,
"खेल? कैसा खेल?"

अचानक कमरे में एक अजीब सी ध्वनि गूंजने लगी। जैसे किसी ने हंसते हुए कहा हो, "शुरुआत हो चुकी है। तैयार रहो।"

फर्श पर अक्षय का खून से लिखा एक संदेश उभरा:
"सवालों का जवाब दो, और रास्ता खोजो। लेकिन याद रखना, झूठ बोलोगे तो मरोगे।"

अरमान ने डरते हुए रुद्र की ओर देखा और कहा,
"रुद्र, अक्षय तुम्हें क्यों दोषी ठहरा रहा है? सच कहो। क्या तुमने कुछ ऐसा किया है, जो हमें नहीं पता?"

रुद्र ने गुस्से में कहा,
"मुझे खुद नहीं पता कि वो मुझे क्यों निशाना बना रहा है! अगर मैंने कुछ किया होता, तो मुझे याद होता।"

लेकिन रिया ने तुरंत कहा,
"झूठ मत बोलो, रुद्र। हमें पूरा सच बताना होगा। वरना ये डायरी हमें छोड़ने वाली नहीं है।"

अचानक दीवार पर अक्षय का चेहरा फिर से उभरा। इस बार उसकी आंखों में आंसू थे, लेकिन वह हंस रहा था। उसने गूंजती हुई आवाज में कहा:
"सच कबूल करो, रुद्र। वरना सबकी मौत की कहानी यहीं खत्म हो जाएगी।"

कमरे की दीवारें कांपने लगीं, और हर कोने से एक नई पहेली का संकेत मिलने लगा।
डायरी के पन्ने से अगला सवाल उभरा:
"अक्षय की मौत का असली कारण क्या था?"


आगे की कहानी अगले भाग में.......
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रचनाएँ
वो खूनी डायरी
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यह किताब मेरी पहली एक किताब (श्रापित मोबाइल) की कहानी से जुड़ी हुई है, इसलिए इस किताब को पढ़ने के लिए आवश्यक है कि पहले " श्रापित मोबाइल" किताब को पढ़ें क्योंकि ये कहानी उसी कहानी का अंश है और इस कहानी के सभी पात्र उसी से जुड़े हुए हैं।
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