जैसे ही कमरे की ठंडी हवा और अजीब सी फुसफुसाहट तेज़ होने लगी, रुद्र ने डायरी को अपने हाथों में कसकर पकड़ लिया। उसने कहा,
"हमें यहां से निकलना होगा। अगर ज्यादा देर रुके, तो कोई नहीं बचेगा।"
रिया कांपते हुए बोली,
"लेकिन दरवाजा बंद है। बाहर कैसे जाएंगे?"
अरमान ने अपनी घबराहट पर काबू पाते हुए कहा,
"यह डायरी ही सबकुछ कर रही है। इसे किसी तरह बाहर ले जाना होगा। तभी शायद दरवाजा खुले।"
रुद्र ने एक पल सोचा और तुरंत डायरी को अपने पास रख लिया।
"अगर ये डायरी इतनी ही श्रापित है, तो मैं इसे संभाल लूंगा। पहले यहां से बाहर निकलने का रास्ता खोजते हैं।"
कमरे में एक अजीब सी गूंज उठी:
"भागने की कोशिश मत करना... तुम बच नहीं पाओगे।"
रुद्र ने इन आवाजों को अनसुना करते हुए दीवारों को ध्यान से देखा। दरवाजे के पास जाकर उसने जोर से धक्का दिया, लेकिन वह टस से मस नहीं हुआ। तभी अरमान की नजर कमरे की खिड़की पर पड़ी।
"वो खिड़की! शायद वो बाहर का रास्ता हो।"
तनु ने डरते हुए कहा,
"लेकिन वो खिड़की इतनी ऊंची है। वहां तक पहुंचना नामुमकिन है।"
रुद्र ने पास पड़ी एक अलमारी को घसीटते हुए कहा,
"हम इसे सीढ़ी बनाकर कोशिश कर सकते हैं। जल्दी करो, हमारे पास समय नहीं है।"
सभी ने मिलकर अलमारी को खिड़की के पास खड़ा किया। रुद्र सबसे पहले ऊपर चढ़ा और खिड़की को खोलने की कोशिश की। कुछ देर की मेहनत के बाद खिड़की खुल गई। उसने सभी को बाहर निकलने का इशारा किया।
एक-एक करके सब खिड़की से बाहर कूद गए।
जैसे ही रिया बाहर निकली, खिड़की जोर से बंद हो गई। अंदर से एक दिल दहला देने वाली चीख सुनाई दी, लेकिन फिर सब शांत हो गया।
चारों बुरी तरह हांफते हुए सड़क पर आ गए। रात की ठंड में भी सबके माथे से पसीना बह रहा था। रिया ने कांपते हुए कहा,
"वो चीख... वो अक्षय की थी, है ना?"
अरमान ने डरते हुए डायरी की ओर देखा, जो अभी भी रुद्र के हाथ में थी।
"रुद्र, हमें ये डायरी वापस हवेली में छोड़ देनी चाहिए। तभी शायद ये सब खत्म होगा।"
रुद्र ने उसकी बात को अनसुना करते हुए कहा,
"नहीं, ये डायरी मेरे पास रहेगी। अगर ये श्रापित है, तो मुझे समझना होगा कि इसमें ऐसा क्या है। इसे छोड़ना समाधान नहीं है।"
अरमान ने गुस्से में कहा,
"क्या तुम्हारा पागलपन खत्म नहीं होगा? यह डायरी अपने साथ मौत लाती है। अगर तुमने इसे छोड़ा नहीं, तो सब मारे जाएंगे!"
रुद्र ने गहरी सांस लेते हुए कहा,
"इसे वापस रखने का मतलब है, फिर से हवेली जाना, तो ठीक है मैं तैयार हूं। लेकिन हमें इसे पहले समझना होगा। शायद इसके बिना हम बच भी नहीं सकते।"
तभी अचानक, सड़क की स्ट्रीट लाइट्स झपकने लगीं। हवा में एक अजीब सी खौफनाक गंध फैलने लगी।
तनु ने डरते हुए कहा,
"क्या ये डायरी हमें यहीं खत्म करने वाली है?"
डायरी से हल्की नीली रोशनी फिर से निकलने लगी। ऐसा लगा मानो वह उन्हें वापस हवेली की ओर बुला रही हो।
अरमान ने रुद्र को चेतावनी दी,
"तुम्हें जो करना है करो, लेकिन ये डायरी अब मेरे पास नहीं रहनी चाहिए। इसे दूर ले जाओ।"
रुद्र ने गंभीर स्वर में कहा,
"हम सब इस डायरी के हिस्से बन चुके हैं। इससे पीछा छुड़ाना अब नामुमकिन है। इसे खत्म करने का एक ही तरीका है—हवेली वापस चलो।"
रुद्र ने डायरी को कसकर पकड़ते हुए कहा,
"हवेली वापस जाना ही पड़ेगा। यही एकमात्र रास्ता है।"
रिया ने उसकी ओर देखा और दृढ़ता से कहा,
"मैं भी साथ चलूंगी। यह सब जितना डरावना है, मैं इसे अकेले सहन नहीं कर सकती।"
तनु ने भी हामी भरते हुए कहा,
"हां, मैं भी आऊंगी। अगर हम सब इस डायरी का हिस्सा बन चुके हैं, तो साथ ही इससे छुटकारा पाएंगे।"
अरमान ने तुरंत रिया की ओर मुड़ते हुए कहा,
"नहीं! तुम कहीं नहीं जाओगी। रिया, मैंने तुम्हें पहले ही एक बार खतरे में डाल दिया है। अब दोबारा ऐसा नहीं होगा। तुम यहां रहोगी।"
रिया ने नाराजगी भरी नजरों से उसे देखा और गुस्से में बोली,
"अरमान, मैं कोई बच्ची नहीं हूं। मुझे अपने फैसले खुद लेने दो। मैं तुम्हारी बहन हूं, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि हर बार मुझे बचाने के लिए तुम अकेले खुद को खतरे में डाल दो।"
तनु ने रिया का समर्थन करते हुए कहा,
"अगर हम सबने इस डायरी को छुआ है, तो खतरा हम सबके लिए बराबर है। अकेले जाने से कुछ नहीं होगा। हम सभी साथ चलेंगे।"
अरमान ने गहरी सांस लेते हुए कहा,
"लेकिन तुम दोनों समझ क्यों नहीं रहीं? हवेली कोई साधारण जगह नहीं है। मैं खुद नहीं जानता, वहां क्या हो सकता है। मैं नहीं चाहता कि तुम लोग भी...।"
रिया ने उसकी बात बीच में काटते हुए कहा,
"बस करो, अरमान। ये बहस बंद करो। हम सब साथ चलेंगे, यही अंतिम फैसला है। अगर तुम्हें सच में हमारी फिक्र है, तो हमें अकेला छोड़ने के बजाय साथ रहो।"
अरमान ने कुछ पल के लिए चुप्पी साध ली। वह जानता था कि रिया और तनु को रोकना असंभव है। आखिरकार, उसने हार मान ली।
"ठीक है। लेकिन अगर वहां कुछ भी गलत होता है, तो तुम दोनों को तुरंत वहां से वापस आना होगा। वादा करो।"
रिया ने उसकी ओर देखते हुए कहा,
"वादा करती हूं कि हम सब साथ रहेंगे। लेकिन अब और वक्त बर्बाद मत करो। हमें अभी निकलना होगा।"
चारों ने अपनी घबराहट और डर को किनारे रखकर हवेली की ओर जाने का फैसला किया। रुद्र के हाथों में डायरी अब और भी भारी महसूस हो रही थी, जैसे वह अपने भीतर अनगिनत राज छुपाए हुए हो।
रास्ते में तनु ने धीमे स्वर में कहा,
"क्या हमें सच में यकीन है कि डायरी को वापस रखने से यह सब खत्म हो जाएगा?"
रुद्र ने गंभीर स्वर में जवाब दिया,
"यकीन तो नहीं है, लेकिन यही एकमात्र उम्मीद है। अक्षय ने इस डायरी में क्या लिखा है और वह आखिर चाहता क्या है, ये हमें वहीं पता चलेगा।"
रिया ने आगे जोड़ते हुए कहा,
"और अगर हमें अक्षय की आत्मा से माफी मांगनी पड़े, तो हम वही करेंगे। शायद यही उसे शांति दे सके।"
अरमान ने कुछ नहीं कहा, लेकिन उसकी आंखों में चिंता साफ झलक रही थी। वह बार-बार रिया की ओर देखता, जैसे उसे यकीन नहीं हो रहा हो कि वह उसकी बहन इतनी हिम्मत कैसे दिखा रही है।
आगे की कहानी अगले भाग में......