मेरी लिखी किताबों की कुछ कहानियां इस किताब में निशुल्क पढ़ने के लिए दी गयी हैं |
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एक नौ वर्षीय बालक काशी के मणिकर्णिका घाट की सीढ़ियों पर बैठा हुआ था | उसकी आँखों से निकले हुए आंसू जो आग की गरमाहट से सूख से गए थे लेकिन उसका हृदय अभी भी विचलित था | घाट पर जल रही अनेकों चिताओं से निकल
विषय : निरंतरता ही सफलता की कुंजी हैआज शुक्ला जी बेटा चार साल बाद घर वापस आ रहा है उनका बेटा विदेश में अपने कारोबार को स्थापित करने गया था और आज उनका बेटा (सार्थक) एक जाना माना कारोबारी है, उसका
यह कहानी है एक ऑटो वाले और एक नवयुवक प्रशांत की जो उस रात अपने घर को जल्दी पहुंचना चाहते थे। लेकिन भाग्य को कुछ और ही मंजूर था इसीलिए दिन उन दोनों का सफर एक ही था । इस कहानी को उस दिन की सुबह से शु