shabd-logo

पुराने राज़

2 दिसम्बर 2024

5 बार देखा गया 5
चारों हवेली के विशाल दरवाजे तक पहुंचे। हवेली पहले से भी अधिक डरावनी लग रही थी। टूटे हुए झरोखों और जंग खाए दरवाजों से ठंडी हवा की सरसराहट उनके दिलों में डर और बेचैनी भर रही थी।

"यह वही जगह है," अरमान ने ठिठकते हुए कहा। "डायरी यहीं के एक कमरे के बक्से में पड़ी थी।"

रुद्र ने कहा,
"तो उसे वहीं रखना सही रहेगा। शायद इसी से सब ठीक हो जाए।"

चारों ने हिम्मत जुटाकर अंदर कदम रखा। हवेली के अंदर का माहौल दमघोंटू था। धूल की परत, जाले, और अजीब-सी गंध ने वहां के माहौल को और भी भयानक बना दिया। अरमान ने इशारा किया,
"वो कमरा वहां है। आइए।"

कमरे में पहुंचते ही, अरमान ने बक्से की ओर इशारा किया।
"यही वह बक्सा है, जहां से मैंने डायरी निकाली थी।"

रुद्र ने अपने हाथ में डायरी को कसकर पकड़ लिया। जैसे ही वह डायरी को बक्से में रखने के लिए झुका, अचानक डायरी ने रुद्र के हाथ से खुद को छुड़ा लिया और हवा में तेजी से उड़ने लगी।

"ये क्या हो रहा है?" तनु ने चिल्लाते हुए कहा।

डायरी हवा में चक्कर काटने लगी, और उसके पन्ने अपने आप अलग होकर पूरे कमरे में बिखरने लगे। सभी पन्नों ने आग पकड़ ली, और जलते हुए पन्ने तेजी से इधर-उधर उड़ने लगे।

अचानक सारे जलते हुए पन्ने एक साथ इकट्ठे हुए और आग की लपटों के बीच दीवार पर लिखने लगे:

"आखिरकार मौत तुझे यहां वापस खींच लाई, रुद्र।"

रिया ने कांपते हुए रुद्र की ओर देखा और धीमे स्वर में कहा,
"यह डायरी सिर्फ अक्षय की कहानी नहीं है। यह उसकी आत्मा का बंधन है। वो सिर्फ तुम्हें सजा देना चाहता है।"

रुद्र के चेहरे पर चिंता और गुस्से का मिश्रण था। उसने गहरी सांस ली और बोला,
"मैंने अक्षय से जो किया, उसका अंजाम मुझे भुगतना होगा। लेकिन मैं तुम सबको इस पागलपन में नहीं फंसाना चाहता था।"

अरमान ने चिल्लाते हुए कहा,
"अब हमें क्या करना चाहिए? यह डायरी हमें नहीं छोड़ेगी।"

तभी हवेली का मुख्य दरवाजा जोर से बंद हो गया, और बाहर जाने का हर रास्ता अपने आप बंद हो गया। कमरे की दीवारें अजीब-सी आवाजें करने लगीं, और चारों को लगा जैसे पूरा कमरा हिल रहा हो।

दीवारों पर जलती हुई आकृतियां बनने लगीं। एक गहरी, गूंजती हुई आवाज कमरे में फैल गई:
"यहां से कोई नहीं जा सकता। रुद्र, तुम्हारा अंत तय है। तुम सबने इस खेल में कदम रखा है, और अब यह खेल खत्म होने तक चलेगा।"

डायरी की जलती हुई लपटें अभी भी दीवार पर तैर रही थीं, और अक्षय खन्ना का नाम गूंज रहा था। अचानक एक जोरदार आवाज के साथ कमरे का झूमर हिला और नीचे गिरने लगा।

"अरमान, संभल!" तनु ने जोर से चिल्लाते हुए अरमान को धक्का दिया।

अरमान झूमर की चपेट में आने से बच गया, लेकिन तनु की चेतावनी के बावजूद झूमर का एक कांच का टुकड़ा अरमान के पैर में गहराई तक घुस गया।
"आह!" अरमान दर्द से कराह उठा, और उसके पैर से खून तेजी से बहने लगा।

रिया घबराते हुए उसकी ओर दौड़ी।
"अरमान! तुम्हें ज्यादा चोट तो नहीं लगी?" उसने अपनी दुपट्टे से अरमान का खून रोकने की कोशिश की, लेकिन बहता खून उसकी चिंता बढ़ा रहा था।

रुद्र ने झूमर के पास आकर स्थिति का जायजा लिया।
"यह जगह अब ज्यादा खतरनाक हो गई है। हमें यहां से जल्दी निकलना होगा," उसने गुस्से और चिंता के मिले-जुले स्वर में कहा।

लेकिन रिया ने एक झटके में उसकी बात काट दी। उसकी आंखों में गुस्सा था।
"निकलना? तुम हमें सच बताने से भाग नहीं सकते, रुद्र। कौन है यह अक्षय खन्ना? और वो तुम्हें क्यों मारना चाहता है?"

रुद्र ने जवाब देने के बजाय सिर झुका लिया। उसकी आंखों में एक अलग तरह की बेचैनी झलक रही थी। लेकिन अरमान अब चुप रहने वाला नहीं था। उसने अपनी तकलीफ और दर्द को नजरअंदाज करते हुए गुस्से से कहा,
"रुद्र, तुम कब तक चुप रहोगे? आखिर कब सच बताओगे? हमें जानने का हक है! हमें इस सब में क्यों फंसाया गया?"

रुद्र ने अरमान की ओर देखा, लेकिन उसकी चुप्पी से अरमान और भड़क गया।
"यह सब तुम्हारी वजह से हो रहा है! तुमने हमें कभी सच नहीं बताया, और अब हम सबकी जान खतरे में है। क्या तुम्हें हमारी परवाह नहीं है?"

रिया, जो अब तक अपने गुस्से को दबाए हुए थी, भड़क उठी। उसने तीखे स्वर में कहा,
"तुम चुप क्यों हो, रुद्र? तुम्हारे चुप रहने से हालात और खराब हो रहे हैं। अगर तुम्हें सच बताना मुश्किल है, तो कम से कम यह तो बता दो कि अक्षय खन्ना तुम्हें मारना क्यों चाहता है।"

रुद्र ने गहरी सांस ली। उसकी आवाज में एक अजीब-सा दर्द था।
"मैं सच बताने से डरता था," उसने धीमी आवाज में कहा। "मैं डरता था कि तुम सब मुझसे नफरत करने लगोगे। लेकिन अब समय आ गया है कि मैं सबकुछ बता दूं।"

अरमान ने उसकी बात काटते हुए कहा,
"डरने का समय अब खत्म हो चुका है, रुद्र! अगर तुमने हमें सच नहीं बताया, तो हम यहां जिंदा नहीं बचेंगे। और मेरी बहन..." अरमान ने रिया की ओर देखते हुए कहा, "... मैं उसे इस खतरे में नहीं डाल सकता।"

रिया ने अरमान को रोकते हुए कहा,
"नहीं, अरमान। अब मैं भी पीछे नहीं हटने वाली। हमें हर हाल में इस डायरी और अक्षय खन्ना के रहस्य को समझना होगा।"

तनु ने धीरे से कहा,
"रुद्र, हमें भरोसा है कि तुम सच बताओगे। अगर यह तुम्हारा अतीत है, तो हमें जानने का हक है।"

रुद्र ने नजरें झुका लीं। उसकी आवाज कांप रही थी।
"अक्षय खन्ना मेरा बड़ा भाई था," उसने कहा। 

यह सुनकर अरमान, तनु और रिया चौंक गए।
उसकी बात सुनते ही कमरे में एक पल के लिए सन्नाटा छा गया।
"भाई?" रिया ने आश्चर्य से पूछा।

अरमान ने दर्द को सहन करते हुए गहरी सांस ली और रुद्र की ओर देखा। उसकी आंखों में हैरानी और गुस्से का मिला-जुला भाव था।

"रुको... तुमने कहा कि अक्षय खन्ना तुम्हारा भाई था?" अरमान ने झिझकते हुए पूछा।

रुद्र ने एक पल के लिए अरमान की ओर देखा, फिर गहरी सांस लेते हुए कहा,
"हां, अक्षय मेरा बड़ा भाई था। मेरा पूरा नाम रुद्र खन्ना है।"

रिया और तनु ने आश्चर्य से एक-दूसरे की ओर देखा। 
अरमान ने गुस्से से कहा,
"तो तुमने हमें यह बात पहले क्यों नहीं बताई? तुमने हमेशा अपना पूरा नाम छुपाए रखा।"
रुद्र ने एक हल्की मुस्कान के साथ कहा, जिसमें कड़वाहट झलक रही थी,
"क्योंकि तुमने कभी पूछा ही नहीं। कॉलेज में सब मुझे सिर्फ 'रुद्र' के नाम से जानते थे। मैं चाहता था कि कोई मेरे अतीत को न जान पाए। मैं अपने बड़े भाई से हमेशा चिढ़ता था। बचपन से ही।"

अरमान ने भौंचक्का होकर पूछा,
"लेकिन क्यों?

रुद्र ने कड़वाहट भरी आवाज में कहा,
"हां, वह अच्छा था। वह समझदार था। पढ़ाई में अव्वल। हर किसी का चहेता। मेरे माता-पिता को लगता था कि वह उनके सपनों को पूरा करेगा। और मैं? मैं हमेशा उनकी नजरों में कमतर, नालायक था। यही कारण था कि पिताजी ने सारी संपत्ति अक्षय के नाम कर दी। मेरे हिस्से में कुछ भी नहीं छोड़ा।"

तनु ने चौंककर कहा,
"लेकिन यह तो गलत है। फिर भी, तुमने उससे इतनी नफरत क्यों की ,कि उसे उस श्रापित हवेली में भेज दिया?"

रुद्र ने अपनी आवाज को थामते हुए कहा,
"क्योंकि मैं उससे बदला लेना चाहता था। मैं चाहता था कि वह वही दर्द महसूस करे जो मैंने किया। मैंने उसे हवेली खरीदने के लिए उकसाया, यह जानते हुए कि वह श्रापित थी। मैं चाहता था कि वह वहां जाकर फंसे। लेकिन मुझे नहीं पता था कि इसका अंत इतना भयानक होगा।"

अरमान ने गुस्से से कहा,
"तो तुम्हारी इस नफरत और लालच की वजह से हमें यह सब भुगतना पड़ रहा है।"

रुद्र ने चुपचाप सिर झुका लिया। उसकी आंखों में शर्म और पछतावा था।
"मैं मानता हूं कि मैंने गलती की। लेकिन अब यही गलती मुझे अपने भाई की आत्मा से बचने का रास्ता भी ढूंढने पर मजबूर कर रही है। मैं जानता हूं कि उसने मुझे माफ नहीं किया। और शायद, अब वह मुझे कभी माफ नहीं करेगा।"

कमरे में एक पल के लिए सन्नाटा छा गया। रिया ने झुंझलाते हुए कहा,
"तो अब क्या? हम इस डायरी और इस श्राप से कैसे बचेंगे?"


अरमान ने झल्लाकर कहा,
"तुम अक्षय से मिलने हवेली गए थे, जब वह जिंदा था। फिर तुमने उसे वहां से बाहर क्यों नहीं निकाला?"

रुद्र ने अरमान की ओर देखा। उसकी आंखों में गहरा पछतावा झलक रहा था। वह धीमी आवाज में बोला,
"हां, मैं उससे मिलने गया था। लेकिन तब तक अक्षय... वह अक्षय नहीं रहा था जिसे मैं जानता था। वह पूरा बदल चुका था। ऐसा लग रहा था जैसे वह किसी और के वश में हो।"

रिया ने हैरानी से पूछा,
"किसके वश में? क्या मतलब है तुम्हारा?"

रुद्र ने गहरी सांस ली और अपनी यादों में डूबते हुए कहा,
"जब मैं उससे मिला, तो वह अजीब-अजीब बातें कर रहा था। उसकी आंखों में डर और गुस्सा दोनों थे। वह कह रहा था कि इस हवेली में कुछ ऐसा है, जो उसे छोड़ने नहीं देगा। वह बार-बार एक ही शब्द बोल रहा था—'रक्तस्नान।' मानो कोई उसे उस शब्द को बोलने पर मजबूर कर रहा हो।"

तनु ने चौंकते हुए पूछा,
"'रक्तस्नान'? ये शब्द क्यों?"

रुद्र ने सिर हिलाते हुए कहा,
"मुझे भी नहीं पता। लेकिन ऐसा लग रहा था कि उस श्रापित फोन ने उसे अपने कब्जे में कर लिया था। वह बार-बार कहता था कि यहां से निकलने का कोई रास्ता नहीं है। वह मुझे बार-बार कह रहा था, 'रुद्र, मुझे यहां से ले चलो। मैं अब और नहीं सह सकता। यह जगह मुझे खत्म कर देगी।' लेकिन...।"

अरमान ने गुस्से में कहा,
"लेकिन तुमने उसे वहां से निकाला क्यों नहीं? तुम उसके भाई थे! तुम उसे बचा सकते थे।"

रुद्र ने अपने चेहरे को हाथों से ढक लिया, उसकी आवाज दुख और पछतावे से भारी हो गई।
"मैं डर गया था, अरमान। उसकी हालत देखकर मैं अंदर तक हिल गया था। वह अक्षय नहीं था, जिसे मैं जानता था। ऐसा लग रहा था जैसे वह पूरी तरह से उस चंद्रिका के वश में था। उसकी आंखें खाली थीं, उसकी आवाज में कोई आत्मा नहीं थी। और फिर, उस हवेली की खौफनाक हवा... मैंने डर के मारे उसे वहीं छोड़ दिया।"

रिया ने गुस्से और निराशा के साथ कहा,
"तुमने अपने भाई को मरने के लिए छोड़ दिया, रुद्र। तुम्हारी नफरत और डर ने हमें इस श्राप में फंसा दिया।"

रुद्र ने सिर झुका लिया। उसकी आवाज धीमी लेकिन कांपती हुई थी।
"मुझे पता है, और यह पाप मेरा पीछा कभी नहीं छोड़ेगा। लेकिन अब इस डायरी के जरिए वह मुझे अपने पास वापस खींच रहा है। मैं जानता हूं कि यह सब मेरी गलती है। लेकिन अब हमें इस श्राप से बचने का कोई रास्ता खोजना होगा।"

कमरे में सन्नाटा छा गया। बाहर हवेली की पुरानी खिड़कियां हवा के थपेड़ों से खड़खड़ाने लगीं, मानो उनकी बातों को सुन रहा हों।



आगे की कहानी अगले भाग में.....
4
रचनाएँ
वो खूनी डायरी
0.0
यह किताब मेरी पहली एक किताब (श्रापित मोबाइल) की कहानी से जुड़ी हुई है, इसलिए इस किताब को पढ़ने के लिए आवश्यक है कि पहले " श्रापित मोबाइल" किताब को पढ़ें क्योंकि ये कहानी उसी कहानी का अंश है और इस कहानी के सभी पात्र उसी से जुड़े हुए हैं।
1

पहली झलक

30 नवम्बर 2024
0
0
0

रुद्र के घर की घड़ी की टिक-टिक उस सन्नाटे को और भी डरावना बना रही थी। अरमान, रिया, तनु और रुद्र बैठक में बैठे थे। अरमान ने धीमे स्वर में कहा, "मुझे माफ करना, पर मैंने अक्षय खन्ना की डायरी अपने साथ लान

2

मौत का खेल

2 दिसम्बर 2024
0
0
0

रुद्र ने डायरी को हाथ में कसकर पकड़ा और दीवार पर लिखे खून के संदेश को घूरते हुए कहा, "हमें इसे हल्के में नहीं लेना चाहिए। ये शुरुआत है।"इतने में अचानक, फ्लैट की खिड़कियां तेज आवाज के साथ खुल गईं। ठंडी

3

हवेली वापसी

2 दिसम्बर 2024
0
0
0

जैसे ही कमरे की ठंडी हवा और अजीब सी फुसफुसाहट तेज़ होने लगी, रुद्र ने डायरी को अपने हाथों में कसकर पकड़ लिया। उसने कहा,"हमें यहां से निकलना होगा। अगर ज्यादा देर रुके, तो कोई नहीं बचेगा।"रिया कांपते हु

4

पुराने राज़

2 दिसम्बर 2024
0
0
0

चारों हवेली के विशाल दरवाजे तक पहुंचे। हवेली पहले से भी अधिक डरावनी लग रही थी। टूटे हुए झरोखों और जंग खाए दरवाजों से ठंडी हवा की सरसराहट उनके दिलों में डर और बेचैनी भर रही थी।"यह वही जगह है," अरमान ने

---

किताब पढ़िए

लेख पढ़िए