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Lockdown में जहाजी कि कलम से

18 मई 2020

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हम है जहाजी जहाज पे
कट रही है जिन्दगी ऐसे तैसे,
जी रहे वनवास में जैसे ,
घर जाना है साहब
नहीं चाहिए इतने पैसे।

हम हैं जहाजी जहाज पे

परिवार है चितिंत गांव में,
लग गई है बेडिया पांव में
जिंदगी ठहर सी गई नाव में,
इस बंद कमरे कि छाव में,

हम है जहाजी जहाज पे

सब विभागों की हो गई छुट्टी,
सरकार पिलाती है हमें घुट्टी
खाना पानी सब एक हुआ
घर जाने की करते है दुआ

Signoff का कुछ पता नही,
ड्यूटी जाने कि कोई खता नहीं,
Airports बन्द हो जाते हैं,
जब हम port किनारे आते हैं।

माँ-बाप सिसककर पूछ रहे,बेटा तुम कैसे रहते हो,
बचपन का वो पाठ याद करता जिसे आप साहसी कहते हो

हम तो जहाजी जहाज़ पे

जहाज के लिये समर्पित जीवन अपना,
उस पार निकलने का है सपना
जाने कि ख्वाहिश लेकर पल पल युं ही बिताते है
हम तो जहाजी जहाज़ पे
साहब, इसलिए ही तो हम फर्ज निभाते है|

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रचनाएँ
jahazi
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दोस्तोमैं रोहित , पेशे से जहाजी लेकिन दिल से बिल्कुल हिन्दुस्तानी। समंदर में जिंदगी बिताने का काफी तजुर्बा है और उसी तजुर्बे और सच्चाई को सामने लाने के लिए मैंने ये प्लेटफॉर्म चुना है।आशा करता हूं जो भी लिखा है और भविष्य में लिखूंगा वो असल ज़िन्दगी से प्रेरित होकर ही लिखूंगासहृदय धन्यवाद
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Lockdown में जहाजी कि कलम से

18 मई 2020
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हम है जहाजी जहाज पेकट रही है जिन्दगी ऐसे तैसे, जी रहे वनवास में जैसे , घर जाना है साहबनहीं चाहिए इतने पैसे। हम हैं जहाजी जहाज पेपरिवार है चितिंत गांव में,लग गई है बेडिया पांव मेंजिंदगी ठहर सी गई नाव में, इस बंद कमरे कि छाव में,हम है जहाजी जहाज पे सब विभागों की हो गई छुट्टी, सरकार पिलाती है हमें घुट्

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मेरी वेलेंटाइन

18 मई 2020
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ख़ाली टेबल और एक बोतल wine हैआंखो पर मेरे एक गजब सी shine हैघड़ी में बज रहा अभी तो सिर्फ nine हैप्लान किया तेरे संग करना मैंने dine हैकरूंगा इंतजार तू ही मेरी valentine हैख़ाली टेबल और एक बोतल wine हैपास नहीं शब्द मेरे जो करते तुझे define हैतुझे चाहने वालो की लग सकती

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Lockdown में जहाजी कि कलम से

18 मई 2020
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हम है जहाजी जहाज पेकट रही है जिन्दगी ऐसे तैसे, जी रहे वनवास में जैसे , घर जाना है साहबनहीं चाहिए इतने पैसे। हम हैं जहाजी जहाज पेपरिवार है चितिंत गांव में,लग गई है बेडिया पांव मेंजिंदगी ठहर सी गई नाव में, इस बंद कमरे कि छाव में,हम है जहाजी जहाज पे सब विभागों की हो गई छुट्टी, सरकार पिलाती है हमें घुट्

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जहाज़ की छोटी सी कहानी

18 मई 2020
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एक बार फिर से तेज उड़ान भरनी हैउन समंदर पर अपनी सांसे ना थमनी हैउजली रातो को आसमान का क्या खूब नजारा हैसुबह हुई तो जान गया की दूर अभी किनारा हैगर्मी होती सर्दी होती और कभी हो जाती बरसातलहरों को ये काट निकलता और मचाता है उत्पात‌एक बार फिर से तेज उड़ान भरनी हैउन समंदर पर अपनी सांसे ना थमनी हैरुक जाना

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लक्ष्य

18 मई 2020
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एक लक्ष्य अधूरा है बाकीजो आश लगाए बैठे हैउस पार निकलना है मंजिलइस तरह इरादे ऐठें हैराह में चाहे हो मुश्किलसफर अभी भी है करना एक पल चैन मंजूर नहींउस लक्ष्य को पूरा है करना अगर कदम हो साथ तेरेवक़्त के संग होंगे सपनेवो लक्ष्य भी ज्यादा दूर नहींजब ख़्वाबों को पा लेंगे अपनेपास हमारे वो हिम्मत हैहार से डट

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सोंच

18 मई 2020
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चार दिवारी में बैठ यु ही सोचते रहेउम्र की कलम से ज़िन्दगी के पन्ने भरते रहेजब पलट कर देखा तुझे ऐ- ज़िंदगीकुछ किस्से आंखो में ढेर सी खुशियां लाएऔर कुछ लम्हे आंखो को नम कर बोले बायचार दिवारी में बैठ यु ही सोचते रहेउम्र की कलम से ज़िन्दगी के पन्ने भरते रहेज़िन्दगी के जीना का सरीखा कुछ यू रहेसाथ रहे लेक

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