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मेजर ध्यानचंद (हॉकी का जादूगर)

दिनेश कुमार कीर

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10 अक्टूबर 2022 को पूर्ण की गई
निःशुल्क

हाकी के जादूगर मेजर ध्यानचंद तुम मुझको यों ही भुला न पाओगे---- हाकी के जादूगर मेजर ध्यानचंद बैस ---- खेल दिवस (29 अगस्त ) एवं मेजर ध्यानचंद की जयन्ती(29 अगस्त 1905 ) की सभी मित्रों को हार्दिक बधाई एव शुभकामनायें राजपूतों के गौरव ,विश्व के महानतम खिलाड़ी, हॉकी के जादूगर ---मेजर ध्यान सिंह (इलाहबाद के बैस राजपूत )की गाथा --- मुग़ल काल से लेकर सन् 1857 के स्वतंत्रता संग्राम में अनेको राजपूत शूरवीरों ने अपने प्राणों की बाजी लगाकर हिन्दुस्तान का गौरव बढ़ाया है ।खेल के क्षेत्र में भी हमारे समाज के कई महान विभूतियों ने राजपूत समाज के साथ साथ अपने देश का नाम भी गौर्वानित किया है जिसमे एक नाम स्वर्गीय मेजर धयान सिंह या ध्यान चंद का भी सामिल है ।अगर भारत में क्रिकेट का नाम आते ही दिमाग में सचिन तेंदुलकर की छवि बनती है तो यहां हॉकी का दूसरा नाम मेजर ध्यान चंद है ।अगर क्रिकेट में लोग सर डॉन ब्रेडमैन को सवसे महान खिलाडी मानते है और टेनिस में रॉडलेवर जैसा कोई नही हुआ तो हॉकी में भी इस भारतीय का कुछ ऐसा ही स्थान मेजर ध्यान चंद को हासिल हुआ ।उनको हॉकी के जादूगर नाम से भी जाना जाता है ।वे भारत के महान खिलाडी और विश्व के सबसे अच्छे हॉकी के खिलाडी कहे जाते है ।वेसे भी हॉकी भारतीयों का मुख्य खेल भी है । वे तीन बार ओलम्पिक के स्वर्ण पदक जीतने वाली भारतीय हॉकी टीम के सदस्य रहे हैं जिनमें १९२८ का एम्सटर्डम ओलोम्पिक, १९३२ का लॉस एंजेल्स ओलोम्पिक एवं १९३६ का बर्लिन ओलम्पिक शामिल है। उनकी जन्म तिथि (29 अगस्त )को भारत में "राष्ट्रीय खेल दिवस" के तौर पर मनाया जाता है | मेजर ध्यानचंद का जन्म 29 अगस्त सन् 1905 ई. को प्रयाग ( इलाहाबाद ) में बैस राजपूत परिवार में हुआ था। इनके पिता सोमेश्वर दत्त सिंह उनदिनों ब्रिटिश इंडियन सेना में सुवेदार थे जो हॉकी के खिलाडी थे । मेजर ध्यान सिंह के दो भाई मूल सिंह व् रूप सिंह थे ।उनके बाल्य-जीवन में खिलाड़ीपन के कोई विशेष लक्षण दिखाई नहीं देते थे। इसलिए कहा जा सकता है कि हॉकी के खेल की प्रतिभा जन्मजात नहीं थी, बल्कि उन्होंने सतत साधना, अभ्यास, लगन, संघर्ष और संकल्प के सहारे यह प्रतिष्ठा अर्जित की थी। मेजर ध्यान चंद साधारण शिक्षा ही (6 th standard ) प्राप्त ही कर पाये थे क्यों क 

mejar dhyanchand hoky ka jadugar

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