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हमारे बाद तुम्हें अपनां बनाने कौन आयेगा?रूलाने तो सब आयेंगे हंसाने कौन आयेगा?बड़ी मुश्किल है चाहत की सभी कसमें सभी रस्मेंकरेंगे प्यार सभी लेकिन निभाने कौन आयेगाकहीं मजबूरियां होंगी कहीं तन्हाईयां होंग
बरसों के बाद देखा इक शख़्स दिलरुबा साअब ज़हन में नहीं है पर नाम था भला साअबरु खिंचे खिंचे से आंखें झुकी झूकी सीबातें रुकी रुकी सी लहजा थका थका साअल्फाज़ थे कि जुगनू आवाज़ के सफ़र मेंबन जाए जंगलों में
तेरी चाहत भूल गयी है जीवन को महकाना अबमेरी भी इन तस्वीरों ने छोड़ दिया शरमाना अबजो इक बात बयां होती थी तेरी-मेरी नज़रों सेकितना मुश्किल है उसको यूँ लफ्ज़ों में समझाना अबमेरी गलियों से अब उसने आना-जाना
अपनी उलझन को बढ़ाने की जरूरत क्या है।छोड़ना है तो बहाने की जरूरत क्या है।लग चुकी आग तो लाज़िम है धुँआ उठेगादर्द को दिल में छुपाने की जरूरत क्या हैउम्र भर रहना है ताबीर से गर दूर तुम्हेंफिर मेरे ख्वाबो
आहिस्ता चल जिंदगी,अभी कई कर्ज चुकाना बाकी है,कुछ दर्द मिटाना बाकी है,कुछ फर्ज निभाना बाकी है.रफ्तार में तेरे चलने से,कुछ रूठ गए कुछ छुट गए,रूठों को मनाना बाकी है,रोतों को हसाना बाकी है,कुछ रिश्ते बन क
वापस न लौटने की ख़बर छोड़ गए हो,मैंने सुना है तुम ये शहर छोड़ गए हो.दीवाने लोग मेरी कलम चूम रहे हैं,तुम मेरी ग़ज़ल में वो असर छोड़ गए हो.सारा ज़माना तुमको मुझ में दूंढ रहा है,तुम हो की मुझको जाने किधर
मैं छोटा सा इक बच्चा थातेरी ऊँगली थाम के चलता थातू दूर नजर से होती थीमैं आंसू आंसू रोता था...इक ख्वाबों का रोशन बस्तातू रोज मुझे पहनाती थीजब डरता था मैं रातों मेंतू अपने साथ सुलाती थी..माँ तुने कितने
मैं शहर का शोर शराबा,तू गांव जैसी शांत प्रिये !मैं उलझा हुआ सा ख़्वाब कोई,तू सुलझी हुई सी बात प्रये !मैं दोपहर की चिकचिक,तू सुकून भरा रात प्रिये !मैं दूरियों का पैमाना,तू हसीन मुलाक़ात प्रिये!मैं इश्क
"जो दिल कहें"जिंदगी में चाहें कोई साथ दे या ना दे,मगर चलो उसी राह पर, जो दिल कहें ।ये दुनिया कहेंगी तुम्हें बुरा बोलने कोमग़र हमेशा बोलों वहीं, जो दिल कहें ।जिंदगी की राह में मिलेंगे कई बहकावीमग़र सफ़
कवितान चादर बड़ी कीजिये,न ख्वाहिशें दफन कीजिये,चार दिन की ज़िन्दगी है,बस चैन से बसर कीजिये...न परेशान किसी को कीजिये,न हैरान किसी को कीजिये,कोई लाख गलत भी बोले,बस मुस्कुरा कर छोड़ दीजिये..न रूठा किसी
ए जिंदगी मुझे अपने, तौर तरीके सिखा दे,ना ज्यादा ना कम, बस जरुरत भर बताते देना पीछे देखने का वक्त हो, ना आगे बढ़ने की आरजूये दुनिया जैसे चलती है, रहना बीच इनके सिखा देकिसी के होने ना होने का, मुझे एहसा
फर्क तो बहुत पड़ता हैफिर भी लोगो को कहने देते हैं।हर किसी को नही समझा सकतेइसलिए अब रहने देते हैं।मोड़ नही सकते किस्मत को अपनी तरफ़इसलिए वक्त के साथ ख़ुद को बहनें देते हैं।जवाब देने के लायक नही बने अभी
मत पूछ इस जिंदगी मेंबेगाने होते लोग देखे,अजनबी होता शहर देखाहर इंसान को यहाँ,मैंने खुद से ही बेखबर देखा।रोते हुए नयन देखे,मुस्कुराता हुआ अधर देखागैरों के हाथों में मरहम,अपनों के हाथों में खंजर देखा।मत
आज थोड़ा प्यार जता दूं क्या,तुम मेरी हो सबको बता दूं क्या..तेरी कलाई जो पकड़ लू मैं,हाय! मेरी जान ग्वां दू क्या.मेरा कमरा बहुत उदास सा है,तेरी एक तस्वीर लगा दूं क्या..तुझे लिखने में दिन चला गया,सोचने
Miss You Papaसब नजर आते हैं एक आप ही नही!आज भी लगता हैं आप आओगे और पूछोगे 'ठीक हैं बेटा"पर अब ये शब्द कानो तक आते ही नही!जिंदगी में बहुत उलझने हैं, पापा पास आप भी नही,कोई नही हैं को आकर बोले, "बेटा घब
पिता पर खूबसूरत कवितापिता एक उम्मीद है, एक आस है।परिवार की हिम्मत और विश्वास है,बाहर से सख्त अंदर से नर्म है।उसके दिल में दफन कई मर्म हैं।पिता संघर्ष की ऑंधियों में हौसलों की दीवार हैपरेशानियों से लड़
बुझ गयी हैं हर लौ जिन्दगी की देखों,सीनें में बस साँसों का धुँआ बाकी हैं...दूर तक बस रेत ही रेत हैं निगाहों में.,हैं कहाँ जमीं, आसमाँ कहाँ बाकी हैं.मैंने माँगी उम्र भर तेरे नाम की दुआ,तू गया तो क्यों य
मेरे मरने के बाद मेरी कहानी लिखना..!!गमों में डुबी हुई मेरी जिंदगानी लिखना..!!लिखना के मेरे होंठ हैँसी को तरसे..!!कैसे बहता है आँखों से पानी लिखना.!!जब भी प्यार से मुझे कोई देखता था..!मेरी आँखों
चेहरे की हसी दिखावट सी हो रही है।असल ज़ि्दगी भी बनावत सी हो रही हैअनबन बढ़ती जा रही रिश्तों में भीअब अपनों से भी बग़ावत सी हो रही हैपहले ऐसा था नहीं जैसा हूँ आजकलमेरी कहानी कोई कहावत सी हो रही हैदूरी
अलमारी से ख़त उसके पुराने निकल आएफिर से मेरे चेहरे पे ये दाने निकल आएमाँ बैठ के तकती थी जहाँ से मेरा रस्तामिट्टी के हटाते ही ख़ज़ाने निकल आएमुमकिन है हमें गाँव भी पहचान न पाएबचपन में ही हम घर से कमाने
दिल तड़प उठा अक्सर मोहब्बत निभाते हुए!अजीब लगता है अब उसे फोन लगाते हुए !!इक वक़्त था, रो लिया करते थे दिल खोलके !अब तो गला भर आता है आंसू छुपाते हुए !!जाने कितने ही वादे किए थे उसने अक्सर!हां, वही दे
दर्द, दर्द होता है।दर्द का कोई पैमानानहीं होतादर्द कम या ज्यादानहीं होतापूरा और आधानहीं होतादर्द की मियादहोती है।मियाद ख़त्म होने परदूसरा दर्दआने तकभले थोडा कम कम सालगता है!पर दर्दतो दर्द होता है!
भले ही झगड़े, गुस्सा करेएक दूसरे पर टूट पड़ेएक दूसरे पर दादागिरि करने केलिये, अन्त में हम दोनों ही होंगेजो कहना हे, वह कह ले,जो करना हे, वह कर लेएक दुसरे के चश्मे औरलकड़ी ढूँढने में,अन्त में हम दोनों
मैं ही तन्हा हूं यहांया सब तन्हा हैंवो जो कल थे यहांवो अब कहां हैं।ये रुकी रुकी सी जिंदगीनिकलती जा रही है।सबके जिस्म यहीं हैं।पर दिल कहां हैं।कुछ लम्हे थे जोफसाने में ढल गएकुछ जो बाकी बचे थेवो पल कहां
कुबूल है जिंदगी का हर तोहफ़ामैंने ख्वाहिशों का नाम, बताना छोड़ दियाजो दिल के क़रीब हैं, वो मेरे अजीज़ हैमैंने गैरों पे हक़ , जताना छोड़ दियाजो समझ ही नहीं सकते दर्द मेरामैंने उन्हें ज़ख्म, दिखाना छोड़
आदततुमने खबर ही कहाँ ली मेरीमैरे साथ रहते हुए भी...बस मान लिया किठीक ही होगीतुमने पूछा ही कहाँ कुछ मुझसेबस मेरी खामोशी को समझ लियामेरी " हाँ " ही होगीमैं जरूरी ही कहाँ थी उतनीसमझ लियामैं तुम्हारे लिए
निगाह ए नाज़ उठाओ तो कोई बात बनेसुकूं ए दिल. को चुराओ तो कोई बात बनेमेरे आंचल में बाँध दो वो कीमती लम्हेवक़्त का साथ निभाओ तो कोई बात बनेमैं नंगे पांव भी चल कर के आऊ वादा है।बस इक आवाज़ लगाओ तो कोई बा
औरत का जीवनमाता पिता चुप कराते है बेटीको समाज के नाम पर...पति अपने हिसाब से चलातेपत्नी को डराकर धमकाकर.सास ससुर खुश है हरवक्त बहु को रुलाकर...भाई मस्त है बहन को दूर कारिश्तेदार बताकर...बच्चे मजे में म
लोग मेरी मुस्कान का राज पूछते हैक्यूंकि मैंने कभी दर्द की नुमाइश नहीं कीजिंदगी से जो मिला कबूल कियाकिसी चीज की फरमाइश नहीं कीमुश्किल है समझ पाना मुझेक्यूंकि जीने के अलग है अंदाज मेरेजब जहां जो मिला अप
बेटियाँकोई चेहरा है कोमल कली कारुप कोई सलोनी परी काइनसे सीखो सबक़ ज़िंदगी काबेटियाँ तो हैं लम्हा खुशी काये अगर हैं तो रोशन जहाँ हैये ज़मी हैं और आसमाँ हैहै वजूद इन से ही आदमी काबेटियाँ तो हैं लम
एक औरत केजीवन की सच्चाईकभी-कभी लगता हैऔरत होना एक सजा है।ना पढे तो अनपढ़ जाहिलपढ़ ले तो पढ़ाई का घमंड है।शादी ना करे तो बदचलन नकचड़ी है।और कर ले तो अब आयाऊंट पहाड़ के नीचे।सब से मिलकर रहे तो चालाक,मिल
कुबुल है जिंदगी का हर तोहफ़ामैंने ख्खाहिशों का नाम, बताना छोड़ दियाजो दिल के करीब है, वो मेरे आजीज़ हैंमैंने गैरों पे हक़, जताना छोड़ दियाजो समझ ही नहीं सकते दर्द मेरामैंने उन्हें ज़ख्म, दिखाना छोड़ द
क्या लिखूं तुझ परकुछ लफ्ज़ नहीं है।दूरी का अहसास लिखूंया बेइन्तिहाँ मोहब्बत की बात लिखूं।एक हसींन ख्याल लिखूंया तुमको अपनी जान लिखूं ।तुम्हारा खूबसूरत ख्याल लिखूंया अपनी मोहब्बत का इज़हार लिखूं।तूने ह
मेरी जिंदगीथोड़ा थक सा जाता हू अब मैं...इसलिए, दूर निकलना छोड़ दिया है,पर ऐसा भी नहीं है कि अब...मैंने चलना ही छोड़ दिया है।फासले अक्सर रिश्तों में...अजीब सी दूरियां बढ़ा देते हैं,पर ऐसा भी नहीं है कि
तू नहीं तो जिन्दगी में और क्या रह जाएगादूर तक तनहईयों का सिलसिला रह जाएगादर्द की सारी तहे और सारे गुजरे हादसेसब धुर्वां हो जायेंगे, एक वाकिया रह जाएगायूँ भी होगा वो मुझे दिल से भूला देगा मगरये भी होगा
यूँही बे-सबब न फिरा करो कोई शाम घर में रहा करोवो ग़ज़ल की सच्ची किताब है उसे चुपके चुपके पढ़ा करोकोई हाथ भी न मिलाएगा जो गले मिलोगे तपाक सेये नए मिज़ाज का शहर है ज़रा फ़ासले से मिला करोअभी राह में कई
ना फूल को देखकर हमखुश ही होते हैं,ना फुल की खुशबू से।हम तो खुश होते हैं आपकीमुस्कुराहट से,क्योंकि आप मुस्कुराते हुएबड़े अच्छे लगते हैं...