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58 किताबें
अजीब सी धुन बजा रखी है जिंदगी ने मेरे कानोंमें,कहाँ मिलता है चैन पत्थर के इन मकानों में।बहुत कोशिश करते हैं जो खुद का वजूद बनाने कीहो जाते हैं दूर अपनों से नजर आते हैं बेगानों में।हस्ती नहीं रहती दुनि
मायूस चेहरे पर, मुस्कान ले आती हैं।यादें भी कमाल हैं।फिर जिंदा कर जाती हैंबस चाहिए इन्हें, फुर्सत के दो पलयादें भी कमाल हैं।दौड़ी चली आती हैं।कभी खुशियाँ, तो कभी ग़म याद दिलाती हैंयादें भी कमाल हैं।आं
किन किन निगाहों से,दो चार होना पड़ता हैऔरत को ताउम्र ही,अखबार होना पड़ता हैकभी मां, कभी बहन,कभी पत्नी बेटीएक चेहरे में कितने ही,किरदार होना पड़ता हैऔर अपने हिस्से में,थोड़ा सा सुकून पाने कोएक औरत को प
नहीं कहुंगा आसान है जिंदगीसब्र कर मगर एक इम्तेहान है जिंदगी,कहानी तू ने लिखनी है अपनीये तो केवल भारी पन्नो कीएक खाली किताब है जिंदगी,सब तो तेरी कहानी के चुनिंदा किरदार है।नए नए अध्याय को लिखते वक़तपुर
कोई तुमसे पूछेकोई तुमसे पूछे कौन हूँ मैं, तुम कह देना कोई ख़ास नहीं,एक दोस्त है पक्का कच्चा सा, एक झूठ है आधा सच्चा सा,ज़ज़्बात से ढका एक पदाॅ है , एक बहाना कोई अच्छा सा,जीवन का ऐसा साथी है जो, पास हो
नशीली आंखो से वो जब हमें देखते हैं, हम घबरा के अपनी ऑंखें झुका लेते हैं, कैसे मिलाए हम उन आँखों से आँखें, सुना है व
वो पुराने दिन, वो सुहाने दिन जब टीवी घर आया, तो लोग किताबें पढ़ना भूल गए । जब कार दरवाजे पर आई, तो चलना भूल गए । हाथ में मोबाइल आते ही चिट्ठी लिखना भूल गए । जब घर में ac आया, तो ठंडी हवा के लिए पे
तेरे साथ कितनी हसीन थी ज़िंदगीअब तेरे बिना बस सज़ा है ज़िंदगीतेरे साथ कितने मज़े में थी ज़िंदगीअब तेरे बिना बड़ी बेमज़ा है ज़िंदगीकभी तूने ही संवारी थी मेरी ज़िंदगीफिर क्यों तूने उज़ाड़ दी मेरी ज़िंदग