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मिस रनर

28 अप्रैल 2017

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मिस रनर


'एक मिनट,जरा मोबाइल और हेडफ़ोन ले लूँ' एकाएक मुझे याद आया।


यूँ तो मैं रोज़ ही सुबह 5 बजे उठ जाता हूँ और मेरे दरवाजा खोलने की आवाज से शायद मेरे पड़ोसी भी।


'मेरे पड़ोसी'


नहीं समझे आप?मेरे पड़ोसी यानी मकान में रहने वाले दूसरे किरायेदार।


हलो दोस्तों,मेरा नाम देव है।आप ही जैसा हूँ सिवाये इस बात के कि आप रोज़ सुबह उठ कर टहलने की कसम खाते है और उठने से पहले ही वो कसम तोड़ देते हैं।


उठने से पहले ही, क्योंकि आप तो सुबह उठे नहीं और जब आप उठे तो बदकिस्मती से दोपहर हो चुकी थी।


खैर,तो मैंने आज भी सुबह(भोर कहना ज़्यादा अच्छा होगा)उठ कर दरवाज़ा खोला और एक दो खूसुर फ़ूसुर लेडीज़ आवाज़ में सुबह-सुबह गाली सुन लिया।गाली आम थी जो हम रोज़ ही सैकड़ों बार अपने दोस्तों को प्यार से दे ही देते हैं।


कान में हेडफ़ोन ठुंसा(पापा जी के शब्दों में)और पहुँच गया पार्क ।पार्क कोई बहुत ज़्यादा खूबसूरत नहीं है दोनों ही point of view से।मतलब यहाँ न खूबसूरत हरियाली दिखती है और न ही खूबसूरत लड़कियाँ।फ़िर भी डेली यहाँ आता हूँ।(आप चाहे तो मेरी पीठ थपथपा सकते है compliment के तौर पर)


मैं पार्क में दौड़ता नहीं बल्कि तेज चल कर 8,10 राउंड लगा लेता हूँ।तो मैं राउंड ही लगा रहा था कि मेरी आँखें चौंधियाई।क़रीब 5 फ़ुट 5 इंच हाइट,उम्र कुछ मेरे ही आस-पास,ट्रैक सूट में मेरे सामने से दौड़ती हुई एक खूबसूरत लड़की गुजरी।भोर के अन्धेरे में काली गोरी का तो पता नहीं चला लेकिन पार्क के 'हैसियत'' के हिसाब लड़की बहुत अच्छी थी।


मैं इधर से चल के जाता वो उधर से दौड़ कर आ जाती।मैं चल के जाता वो दौड़ के आ जाती।मैं फिर चल के जाता और वो फ़िर से दौड़ के आ जाती।ये सिलसिला 8,10 राउंड तक चला।मैं तो अब भी उतना ही energetic था जितना उसे पहली बार देखते वक्त था।लेकिन वो,उसे देखकर लग रहा था अगर वो एक और राउंड दौड़ी तो उसे दौरा पड़ जाएगा।


'दौरा' मेरे दिमाग़ में अचानक से खूराफ़ात आया।इस बार फ़िर वो दौड़ती हुईं सामने से आती दिखाई दी।फ़ासला 50 कदम,30 कदम,फ़िर 10 कदम फ़िर


धड़ाम...


मैं उसे देख रहा था।कम से उसे तो ध्यान देना चाहिए था की मैं सामने से आ रहा हूँ।हम दोनों टकरा गए थे और खुदा के खैर से मेरी लैंडिंग ठीक ठाक हुईं थी नहीं तो मामला गड़बड़ हो सकता था।खूराफ़ात काम कर गया था।


"Are you ok"मैनें पूछा।मैंने इंग्लिस जानबुझ कर नहीं बोला था।वो तो मौक़े के नज़ाकत को देख कर मुँह से अपने आप ही निकल पड़ा।


मेरे question का answer मुझे अभी तक नहीं मिला था।मैनें सहारा देने के लिए हाथ आगे बढ़ाया।वोहोहो...सहारा पाने के उसने भी मेरा हाथ थाम लिया।


"yeah,absolutely" उसने हांपते हुए कहा।


"आज काफ़ी दौड़ ली आप"मैने न चाहते हुए भी अंत में 'आप' जोड़ दिया।'ख़राब शुरुआत' मैंने सोचा।


"आख़िरी राउंड ही था"उसने फ़िर हांपते हुए कहा।


'Its means I am lucky'मैनें फ़िर सोचते हुए कहा।


"कितने राउंड रोज़ लगाती है?"


"10 से 12 राउंड" उसने कहा।


'हम्म,मतलब रोज़ आती है।कभी देखा नहीं'मैनें एक बार फ़िर सोचा"मैं तो चल कर ही राउंड लगा लेता हूँ,दौड़ता नहीं"मैनें कहा।


"दौड़ने से स्टेमीना बढ़ती है।एक घंटे रोज़ दौड़ो फ़िर यहाँ आने का फ़ायदा दिखेगा"उसने कहा।


"आप कितने बजे रोज़ आती है"इस बार मैनें बिना सोचे पूछ लिया था।वो देखकर मुस्कुराई और उठ कर उसी तरह दौड़ते हुए पार्क से बाहर चली गई।


"वोए मिस रनर,नाम तो बताती जाओ"मेरी आवाज़ सुन कर वो घुमी और फ़िर घूम गई।


ओह,10,12 राउंड और दौड़ने से स्टेमिना बढ़ती है।यही बात मेरे कान में गूँजती रही और बस गूँजती रही।तब तक जब तक मैं उससे दोबारा नहीं मिला।


"wait" उसने मुझे ठीक सामने से दौड़कर आते हुए देख कर कहा"आज टकराने की ज़रूरत नहीं है"


हम दोनों मुस्कुरा दिए।'हम दोनों'यानी मैं और मेरे अंदर की मासूम सोच।


"कल की सेफ लैंडिंग याद है।आज नहीं टकराऊँगा" मैनें आज न सोचने का फ़ैसला किया था"कैसी है?"


"कल से बढ़िया"उसने कल के टकराहट की ओर इशारा कर के कहा।


"कल आप ऐसे ही उठ कर चली गई।क्या आप ऐसे ही बातचीत खत्म कर देती है?"मैने पूछा।


"नहीं,और भी तरीक़े है।जब,जहाँ,जैसा,जो तरीक़ा अपनाना होता है अपनाती हूँ"उसने कहा।


मुझे यह नहीं समझ आया था कि वो मज़ाक कर रही है या सीरियसली बोल रही है।मैने पुछा भी नहीं और सोचा भी नहीं जैसा की मैने फ़ैसला किया था।


"हाय,This is Dev"मैने अपना परिचय दिया।जवाब मे वो सिर्फ़ हाय बोलकर हाथ मिला दी।


'हाथ भी न मिलाती यार।और हाय का जवाब देने की भी क्या ज़रूरत थी'मैने सोचा अपने न सोचने का वादा तोड़कर।


"नाम क्या है आपका?"मैने आज फ़िर पुछा।


"नाम?तुमने कल लिया तो था मेरा नाम"


"मैने आपका नाम लिया था? कल?"मैनें आश्चर्य से पूछा


"हाँ"


"मैनें कल नाम लिया था।मुझे याद क्यूँ नहीं आ रहा है"मैं बड़बड़ाया।


"खैर,क्या करते हो तुम?"


'ये हुई न बात' मैनें सोचा।अब मैं भी कुछ नहीं बताऊंगा।


"नहीं बताना?"



"बात वो नहीं है।मेरे बता देने से भी क्या होगा?मैं ग्रैजुएट तो हो नहीं जाऊंगा"


'वोह,ओवरस्मार्ट'मैं बुदबुदाया।


मैनें उसे बता दिया था कि मैं स्टुडेंट हू।


"आपके 10,12 राउंड हो गए?नहीं हुए?तो जाइए पुरा किजिए"मैने खीज कर कहा। वो उठी और फ़िर दौड़ने लगी।


"अरे,ओए मिस रनर रुको तो सही"

मुझे याद आया मैंने उसे कल मिस रनर बुलाया था।लेकिन यह कैसा नाम हुआ 'मिस रनर।खैर मैं उठा और न चाहते हुए भी वापस आ गया।


इस तरह की छोटी मोटी और भी मुलाकाते हुई हमारी।इन मुलाकातों में मैंने यह जान लिया था कि वो कम से कम मुझसे 5,7 साल बड़ी है और मेरे कॉलोनी के आजु बाज़ू वाले किसी कॉलोनी की किसी गली में वो रहती है।


'वोह फ़क'मैं खुद पर खीझा मैं अभी तक उसके बारे में कुछ भी नहीं जान पाया था।सिवाय इसके कि मैं अब 'आप' से 'तुम'पर आ गया था।


अगले सुबह जब मैं उससे मिला तो वो काफ़ी tensed दिखी।अब तो वैसे भी मैं कुछ जानने या पूछने की कोशिश नहीं करता था।लेकिन आज उसने मिलते ही बोलना शुरु कर दिया।


"तुम मुझमें इतना दिलचस्पी क्यों लेते हो?"


'ख़तरनाक सवाल'मैने सोचा

यह सवाल मेरे लिए वैसा ही था जैसा स्मिथ के लिए जहीर ख़ान की यॉर्कर।लेकिन मैं भी इसे परेरा की तरह खेल ने के लिए तैयार था।


"क्योंकि तुम खूबसूरत हो"मैने क्रिकेट की पिच से बाहर आते हुए कहा"और सिर्फ़ खूबसूरत ही नहीं,तुममें कुछ कहानी भी छुपी हुई लगती है शायद बहुत रोचक,अनकही,अनसुनी, बहुत दिलचस्प।तुम हो ही इतनी दिलचस्प कि बिना दिलचस्पी लिए बगैर रह नहीं पाता"आख़िरी वाक्य मैनें सोचा था।उसके बाद एक और


'अब तो दिल भी मुश्किल से क़ाबू में होता है जब तुम सामने होती हो'


मेरे दिल में पूछने को हज़ार सवाल थे लेकिन उसने मेरे अब तक पूछे गए सवाल का जवाब नहीं दिया था इसलिए मैनें फ़िर कोशिश नहीं की।


उसने मुझसे यह क्यूँ पुछा और मैं क्यूँ रोज़ उससे मिलने के लिए बेचैन होता हूँ?जबकि ये मिलना भी न मिलने के बराबर है।मैं उसके कुछ बोलने का इंतज़ार कर रहा था।


"देव,मुझे हैरानी है तुमने बिना मेरे कुछ बताए इतना सब कुछ जान लिया"उसने कहा।उसके मुँह से मेरा नाम और भी अच्छा लग रहा था"तुम एक अच्छे इंसान हो।शायद बहुत अच्छे। मैं कल तुमसे यही मिलुँगी।ठीक 5 बजे।वक्त पर आ जाना"इतना कह कर वो जाने के लिए मुड़ी।मैं उसे आज ही समझना चाहता था।


"हे मिस रनर,कल किसने देखा यार Let it finished today"वो चली गई


अगली सुबह जैसे साल भर बाद आई थी।मैं किसी तरह 5 बजा कर भागते हुए पार्क पहुँचा।वो कही नहीं दिख रही थी।पहले मुझे लगा मिस रनर आज लेट है।जब काफ़ी टाइम हो गया तो मैं परेशान हुआ।परेशानी में मेरी नज़र बेंच के साइड में लगे छोटे से पेड़ के टहनियों पर गई।उसपर एक कागज़ का टुकड़ा लहरा रहा था।मैनें उसे खोला और पढ़ना शुरू किया।उसमें काफ़ी कुछ लिखा था लेकिन जो समझ में आया वो ये था-


"हो सके तो उन छुपे हुए कहानी को जानने की कोशिश करना जिस कहानी की main protogonist मैं हूँ"


मेरी ही आवाज़ अब मेरे कानों में गूँज रही थी'कल किसने देखा यार।'


उस बात को एक महीने हो गए।मिस रनर को मैं मिस कर रहा था रहा था और वो एक महीने से मिसिंग थी।हर जगह जैसे हो सके वैसे मैंने उसके बारे में पता लगाने की कोशिश की।रूम से निकलता था तो बस इसलिए कि कही वो दिख जाए,कही मिल जाए।आते-जाते,भूले-भटके,गलती से।लेकिन उस दिन के बाद से वो ऐसे ग़ायब हुई जैसे इंसान के अंदर से इंसानियत।


कहाँ गई वो?कहाँ से आई थी कौन थी?या थी भी की नहीं।कभी-कभी डॉक्टर के पास जाने का भी ख़्याल आया।सोचा एक बार हो लूँ।


अगले दिन डॉक्टर के पास गया।लेडी डॉक्टर थी।अंदर घुसा तो देखा वो भी मुँह अंदर घुसाई बैठी है।मैंने चुपचाप बैठ कर एक दो बार गला साफ़ किया की वो उठ जाए।लेकिन मालूम होता था आज उन्हे बरसों बाद नींद आई थी।मैं जाने के लिए मुड़ा कि पिछे से जानी पहचानी आवाज़ आई।


"देव"


आवाज़ सुनकर मैं गिरते-गिरते बचा।ऊपर से इतनी सुरीली आवाज़ में अपना नाम सुनकर मैं जैसे बर्फ़ की तरह जम गया।


मैं घुमा,आवाज़ उसी की थी।डॉक्टर के व्हाइट ड्रेस में बैठी मिस रनर का चेहरा अब भी वैसे ही शांत था जैसा हमेशा मैनें देखा था।मैं बस उसे देख कर अपने दोनों हाथ कमर पर रख कर मुस्कुरा रहा था।उस वक्त मुझे आगे बढ़ कर उसे गले लगा लेना चाहिए था,उसे डाँटना चाहिए था।उससे वो सारे सवाल करने चाहिए थे जिसका जवाब मैं पिछले एक महीने से जानना चाहता था।


मुझे ख्याल आया उसके सारे सवाल के जवाब उसके उस अजीब से खत में था जो मैं समझ नहीं सका था।



"आज मिल न सकी।मिलुँगी,उस वक्त जब तुम मेरे लिए बीमार पड़ोगे।तुम्हें मेरे होने न होने के दौरे पड़ेंगे।जब तुम मेरे लिए जिओगे और मेरे लिए तड़पोगे।मैं तब मिलूँगी जब कोई तीसरा हमारे बीच आएगा।जब तुम मुझे हर जगह ढूंढ कर हार जाओगे।जब मौत तुम्हारे लिए मेरे न होने के बराबर हो जाएगी।तब मैं मिलूँगी। हो सके तो उन छुपे हुए कहानी को जानने की कोशिश करना जिस कहानी की main protogonist मैं हूँ"


उसे पहली बार मुस्कुराते हुए देख कर मैं ख़ुश था।


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