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1 किताब
प्यारी बेटी तु इस तरहा मुख मोड गयी मुझको तनहा यू छोड गयी एक पल तो रुकी होती मां की सिसकी सुनी होती तो शायद दूर न जा पाती तु लौट के वापस आ जाती गम यही मुझे दिन रात है तुझसे मिलने की आस
. कब कहा था तुने जाना है फिर लौट नही घर आना है तु देती थी उम्मीद जगा मायूसी में भी रौनक ला आज घर तेरा सुनसान है . अब ना मेरी कोई पहचान है तु थी तो मै भी जिंदा थी अब जिन्दगी मेरी वीरान है अब जिन्दगी म
कोई तुझसे नजर आता नहीं तेरे सिवा कोई दिखाता नहीं ढूंढती हूं हर चेहरे में तेरे चेहरे को पर वह मासूम चेहरा मुझे नजर आता नहीं चाहती हूं कोई मेरे पास रहे ना मेरा दिल यू उदास रहे पर कोई आस कोई