एकाएक हृदय धड़ककर रुक गया, क्या हुआ !! नगर से भयानक धुआँ उठ रहा है, कहीं आग लग गयी, कहीं गोली चल गयी। सड़कों पर मरा हुआ फैला है सुनसान, हवाओं में अदृश्य ज्वाला की गरमी गरमी का आवेग। साथ-साथ घूमत
रिहा!! छोड़ दिया गया मैं, कोई छाया-मुख अब करते हैं पीछा, छायाकृतियाँ न छोड़ी हैं मुझको, जहाँ-जहाँ गया वहाँ भौंहों के नीचे के रहस्यमय छेद मारते हैं संगीत-- दृष्टि की पत्थरी चमक है पैनी। मुझे अब
एकाएक मुझे भान !! पीछे से किसी अजनबी ने कन्धे पर रक्खा हाथ। चौंकता मैं भयानक एकाएक थरथर रेंग गयी सिर तक, नहीं नहीं। ऊपर से गिरकर कन्धे पर बैठ गया बरगद-पात तक, क्या वह संकेत, क्या वह इशारा? क्य
अकस्मात् चार का ग़जर कहीं खड़का मेरा दिल धड़का, उदास मटमैला मनरूपी वल्मीक चल-विचल हुआ सहसा। अनगिनत काली-काली हायफ़न-डैशों की लीकें बाहर निकल पड़ीं, अन्दर घुस पड़ीं भयभीत, सब ओर बिखराव। मैं अपन