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मुस्कराते ही रहना...

13 अक्टूबर 2020

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सदा मुस्कराते ही रहना,


तुम इसी तरह बस सदा मुस्कराते ही रहना,

दुनियां का काम तो बस कहते ही रहना


बहुत डराती हैं ये छिपकली,और ये मकड़ियाँ,

तितलियों का काम तो बस, उड़ते ही रहना।


पलकों तले आंसूओं का एक घरोंदा होता है,

दिल का एक काम बस धड़कते ही रहना।


कहते हैं ये मंज़िलें इम्तहान लिया करती हैं,

मुसाफ़िर का काम तो बस चलते ही रहना।


कभी शाम हो जाये, और रास्ता गुम होने लगे,

जुगनुओं की तरह, उड़ते, मचलते ही रहना ।


मदन पाण्डेय 'शिखर'


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मुस्कराते ही रहना...

13 अक्टूबर 2020
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सदा मुस्कराते ही रहना,तुम इसी तरह बस सदा मुस्कराते ही रहना, दुनियां का काम तो बस कहते ही रहना । बहुत डराती हैं ये छिपकली,और ये मकड़ियाँ,तितलियों का काम तो बस, उड़ते ही रहना।पलकों तले आंसूओं का एक घर

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मेरा ख़्वाब माँगतेहैं ...इतने वेवश चेहरे, कि नकाब माँगते हैं,बंद करूँ आँखें , मेरा ख़्वाब माँगते हैं। बचपन की यादें ,जवानी के लुक –छिपे,ये चोरी –चोरी, मेरी किताब माँगते हैं । छुपा छुई –मुई में, हर –सिंगार में फँसा,इम्तहान लेते मेरा , ये गुलाब माँगते हैं । दर्द की झाइयाँ नर्म, पलकों की सिंहरन,मज़ाक

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