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सैनिक की होली ....

15 मार्च 2021

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सैनिक की होली ....

*** तुम रंग रंगी बरसाने की, हम केसरिया टोली रे,

आओ प्रिय दोनों खेलें, रंगों की आँख मिचौली रे।

लाल गुलाबी हरा बसंती , सारे रंग रंगाना जी,

सपनों में आ जाऊँगा, पलकों में हमें छुपाना जी,

बहुत रिझायेंगी सखियाँ ,मुझको भूल न जाना जी,

मैं डूबूँ कान्हा के रंग, तुम राधे रंग- रँग जाना जी,

चुटकी भर लेकर गुलाल, तश्वीर मेरी सजाना जी,

बनी रंग की रंगवन्ती तुम ,लाज से ना शरमाना जी,

नाम वतन का पीकर के भंग, हुए वतन हम-जोली रे,

आओ प्रिय दोनों खेलें, रंगों की आँख मिचौली रे।

*** रँग पंचमी आई, केसर सरसों भी लहराई है,

महके–महके फूलों पर, नन्ही तितली भरमाई है,

गीत-फाग और ढ़ोल नगाड़े, भ्रमरों की सगाई है,

मिष्ठानों की रौनक ज्यों,परदेशी की अगुवाई है,

कहते है भोले के रँग में , रग –रग में तरुणाई है

रे पिया बसंती छोड़ो, राधा, रँग –रँग रंग आई है,

हमने तो फेरों संग खेली,जनम- जनम की होली रे,

आओ प्रिय दोनों खेलें, रंगों की आँख मिचौली रे।

*** तुम प्रेम नगर की बावरिया, मैं सजा शिखर पे केशरिया,

तुम चंदा सी श्रंगार सजी , मैं धूल रंगा, हूँ कांवरिया ,

तुम प्रेम समुंदर की सरिता , मैं बारूद की आटरिया,

तुम तड़प प्यास की मीन प्रिये, मैं हिम घाटी का लांगुरिया,

राग कोकिला,सुर विहाग तुम,हिमगिरि का गुंजन मैं प्रिया ,

हर रँग तुम्ही, हर- भंग तुम्ही, हर साँस –साँस साँवरिया।

तुम ही तो मेरे रंग रंगी , रंगी चुनरिया-चोली रे ।

मैं रंगा तिरंगे रंग प्रिये, रंगों की आँख मिचौली रे ।....आओ प्रिय

मदन पाण्डेय 'शिखर' की अन्य किताबें

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भारती का प्यार हिन्दी...

14 सितम्बर 2020
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भारती का प्यार है ये हिंदवी,भारतेन्दु ,शुक्ल और द्विवेदी प्रसाद ,जैसे , गोमुखी से गंगा काप्रयास है ये हिंदवी,हिम कन्दराओं दे उदित वेद मंत्रों युक्त,ऋषि मुनियों का इतिहास है ये हिंदवी,सूर का आभास है ये मीरा हरी प्यास है ये,पीड़ा महादेवी

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हिन्दी की सामर्थ्य

14 सितम्बर 2020
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हिन्दी की सामर्थ्यएक भाषा है जो मुझसे, बात करती है मैं कहीं भी जाऊँ, मुलाक़ात करती है , चाँदनी में दिखती, तारों में छिप जाती, जुगनुओं की तरह मेरेसाथ चलती है,हमने अपने बेटे से कहा,हिन्दी मे पहाड़ेसुनाओ,बोला पापा हमें खामखां मत गड़बड़ाओ,मेडम कहती है, नौकरी तभी मिलेगी जब अँग्रेजी पढ़ोगे,नहीं तो ज़िंदगी भरह

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मुस्कराते ही रहना...

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मेरा ख़्वाब माँगते हैं ...

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माँ मुझे अच्छे से प्यार कर लेना

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माँ के आशीष बिना जीत कहाँ होती है,I

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आज़ादी के गुमनाम क्रान्तिकारी

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