भारती का प्यार है ये हिंदवी,
भारतेन्दु ,शुक्ल और द्विवेदी प्रसाद ,जैसे ,
गोमुखी से गंगा का
प्रयास है ये हिंदवी,
हिम कन्दराओं दे उदित वेद मंत्रों युक्त,
ऋषि मुनियों का इतिहास है ये हिंदवी,
सूर का आभास है ये मीरा हरी प्यास है ये,
पीड़ा महादेवी की
आकाश है ये हिंदवी,
दिनकर आग है ये, विहारी पराग है ये,
निराला की प्रकृति उल्लास है ये हिंदवी,
जर्जर डोल रही भावों
को टटोल रही,
अँग्रेजी घावों से जार
जार है ये हिंदवी,
मुगलों की कैद में भी
पग-पग चल पड़ी,
सदियों से टूटी
तार-तार है ये हिंदवी,
सागर हिलोरों बीच आज
भी वहीं खड़ी है,
शाश्वत ममता की दीवार
है ये हिंदवी,
गर्व से पुकारें हम
हिन्दी भाषा मात्र नहीं,
मातृभूमि भारती का
प्यार है ये हिंदवी,
जय हिन्द,,,जय हिंदी ।