हम फिर आयेंगे। जन्म लिया चलना सीखा बालवाड़ी गए उछलना कूदना सीखे अक्षर ज्ञान लेकर स्कूल गए नहाना डरना टॉयलेट जाना बचपन की पीड़ा प्रायमरी से मिडिल फिर
मनाते हो हल साल नया वर्ष हर दिन को नया वर्ष मनाया करो । ठान लेते और खा लेते हो कसम जरा उस पर अमल भी लाया करो। मनाते हो होली व दीवाली उत्सव से हर दिन रंग जाया करो । उस बच्
एक अनोखा सूरत शाला में प्रवेश किया । मम्मी पापा को टाटा कहकर अपने साथी का हाथ पकड़े कदम रखकर स्कूल को आवेश किया। एक अनोखा सूरत शाला में प्रवेश किया । पहली कक्षा के पहली बेंच प
नया दिन है नया साल है उगता सूरज आज नया है । कल जो कली थी वो फुल नया है । शाख पे पत्ती जो देखी नया है । कल का जो सवेरा था आज नया है । चेहरे पर पड़ी किरणे आज नया है। क्या मनुष
जब तितली पंख फैलाती सुंदर रंग दिखाती है । जब भँवरे मन्डराते सुन्दर तान सुनाते है । मोर नाचते पंख फैलाते सबरंगी माहौल बनाते हैं । जब बच्चे गीत सुनाते वो दिन क्या कहलाते है । जब
ज्ञान और लौ एक साथ जलते हैं । शिक्षक और दीप एक साथ चलते हैं । अँधेरा,तो लौ की एक किरण काफी है । गुरु का एक इशारा गुमराह का साथी है। दीवाली में गांव शहर जगमग करते हैं । शिक्षक भी तो प्रका
जमीं की तरफ नजर पैदल चलते हुए पीठ पर बैग लिये तितलियों के पीछे भागते पक्षियों को भागाते हुए आ रहे है हसते मुस्कुराते हुए बीच में रुककर पेन व चाकलेट लेकर पेन्ट की जेब में रखकर दोस्त
ये अजुबा है दुनिया का, इसे संजोकर रखना । इसकी नीव से होगी इमारत खड़ी जो लड़ेगी भावी शैतान से इन पर लोगो की आखें लगेगी जरा इसे टटोलकर रखना । ये अजुबा है दुनिया का,इसे संजोकर रखना । इस
आँखो में चमक चेहरे पे रौनक़ आ गया । बच्चे उछल-कूद करने लगे लो दिसम्बर आ गया । ये रोज का पढना और पढ़ाना , टीचर की वही नसीहत व आशियाना , मन बोझिल बड़ी देर से राह का ताकना, आखिरकार बिन पायल के झ
कैसा है ये स्कूल का सफरनामा कैसा है ये स्कूल का सफरनामा । मिलते बच्चे,खेलते,कूदते,हँसते,गाते अपने में मगन जैसे विशाल गगन प्रत्येक अनूठे अंदाज के व बेजोड़ टीचर जी सुनती इनके कई कारनामा कैसा